हॉकी की विलक्षण प्रतिभा मोजामिल हुसैन, कामयाबी की राह में गरीबी नहीं आई आड़े

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 06-02-2022
हॉकी के उभरते सितारे मोजामिल हुसैन
हॉकी के उभरते सितारे मोजामिल हुसैन

 

चंदनज्योति बोरा/ नौगांव, असम

अत्यधिक गरीबी और सुविधाओं की कमी के बावजूद, मध्य असम के एक युवा मोजामिल हुसैन ने अपने दृढ़संकल्प और समर्पण के साथ सफलता की सीढ़ी में नई ऊंचाइयों को हासिल किया है. नागांव जिले के मगुरमारी क्षेत्र का मोजामिल भारत की ओर से वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी के रूप में उभर रहे हैं.

उन्होंने असम हॉकी टीम के लिए कई आधिकारिक टूर्नामेंट खेले हैं और 14 राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लिया है. गौरतलब है कि नागांव जिले के कावोइमारी हायर सेकेंडरी स्कूल से हाई स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट परीक्षा और हायर सेकेंडरी फाइनल परीक्षा पास करने के बाद मोजामिल ने 2009 में हॉकी खेलना शुरू किया था.

2010 में उन्होंने केडी सिंह नेशनल इन्विटेशन मीट में भाग लिया और 2012 में  उन्होंने असम में हॉकी इंडिया के राष्ट्रीय सब-जूनियर्स में खेला. 2014 में, वह फिर से जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रीय सब-जूनियर्स में खेले, उसके बाद मणिपुर में सब-जूनियर्स (2016), बेंगलुरू में सब-जूनियर्स (2017), होजई (असम) में 2018 में सब-जूनियर्स, मध्य में जूनियर्स में खेले. 2018 में प्रदेश और 2019 में जबलपुर में जूनियर्स में भी उन्होंने हिस्सा लिया.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, मोज़ामिल ने बांग्लादेश लीग में ढाका बैचलर्स स्पोर्टिंग क्लब का प्रतिनिधित्व किया और 2021 में, उन्होंने बांग्लादेश ग्रीन डेल्टा इंश्योरेंस प्रीमियर डिवीजन हॉकी लीग में जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन के लिए खेला. 2021 में, उन्होंने पुणे में सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में असम का प्रतिनिधित्व किया.

मोजामिल के पिता अमीनुल हक दर्जी हैं. वह कपड़े सिलकर जीविकोपार्जन करते हैं. मां मेहरुन्निसा एक गृहिणी हैं. मोजामिल के हॉकी के प्रति प्रेम का उनके पिता ने कभी विरोध नहीं किया. दरअसल, जब मोजामिल कोलकाता में भारतीय खेल प्राधिकरण में प्रशिक्षण ले रहे थे, तब उनके पिता ने जरूरी पैसे जुटाने के लिए 2018में भूखंड बेच दिया. मोजामिल हांगकांग हॉकी लीग के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए भी तैयार हैं.

गौरतलब है कि असम के संदर्भ में हॉकी का बहुत कम महत्व है. हालांकि, आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार का एक बच्चा मोज़ामिल, नागांव जिले के कलियाबोर के एक उपनगर, कावोइमारी में एक हॉकी प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा है.

उनकी हॉकी स्टिक से दिखाया गया जादू उनकी आर्थिक स्थिति से पार पाने के लिए काफी था. उन्होंने कहा कि उनकी सफलता उनके पिता के मजबूत समर्थन के कारण है जिन्होंने कभी गरीबी को आड़े नहीं आने दिया.

अब ट्रेनिंग के लिए जमीन का टुकड़ा बेचे देने वाले पिताको उम्मीद थी कि उनका बेटा देश में खुद के लिए एक जगह बना लेगा. जानकारों के अनुसार, अमीनुल हक के बेटे को उस लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए जिसके वह हकदार हैं. हालांकि, मोज़ामिल ने सरकार के संबंधित अधिकारियों से विशेष सुविधाओं की कमी के बारे में बार-बार शिकायत की है.