कीर्तिमानों का दूसरा नाम है मिताली

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 10-03-2021
मिताली राज (फोटोः मिताली का इंस्टाग्राम हैंडल)
मिताली राज (फोटोः मिताली का इंस्टाग्राम हैंडल)

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

अगर कोई यह कहे कि हमारी छोरियां, छोरों से कम हैं क्या.. तो इस महज फिल्मी संवाद न समझिएगा. अब छोरों से कम तो खैर क्या ही होंगी, पर कीर्तिमान रचनेवाली महिला शक्ति लड़कों से आगे ही निकल रही हैं.

खासकर, अगर हम नाम लें भारत की महिला क्रिकेट टीम की वनडे कप्तान मिताली राज की, जिन्होंने 10 टेस्ट मैच, 211 एकदिवसीय और 82 टी-20 मैच खेलकर कुल 310 मैच पूरे कर लिए हैं. अब मिताली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मैचों की संख्या के मामले में इंग्लैंज की चार्लोट एडवर्ड्स को भी पीछे छोड़ दिया है. अब मिताली राज के नाम सबसे ज्यादा मैच खेलने का अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेटर होने का खिताब भी है.

मिताली की यात्रा लंबी रही है. और इसकी शुरुआत भी दिलचस्प अंदाज मे हुई थी. वह काफी छोटी थीं तो अपने पिता के साथ उस क्रिकेट अकादमी में जाया करती थीं, जहां उनके चार साल बड़े भाई खेलना सीख रहे थे.

अपने भाई की नेट प्रैक्टिस के खत्म होने का इंतजार करती हुई मिताली अगल-बगल पड़े बल्ले को उठा लेती थीं और कोच खेल के प्रति उनकी उत्सुकता के मद्देनजर उन्हें कुछ गेंदे खिला दिया करते. धीरे-धीरे यह उत्सुकता क्रिकेट के लिए असली मुहब्बत में तब्दील हो गई.

मिताली के परिवार ने उनका पूरा साथ दिया. सन 2000 में, जब मिताली की बारहवीं की परीक्षाएं सिर पर थी और उसकी तारीखें एक महत्वपूर्ण टूर्नामेंट से टकरा रही थीं. टूर्नामेंट महत्वपूर्ण इसलिए था क्योंकि उसी के आधार पर न्यूजीलैंड में होने वाली महिला क्रिकेट विश्व कप की टीम का चयन होना था. मिताली तब 17 साल की थीं.

उनके माता-पिता ने उत्साहित किया कि वह पारंपरिक पढ़ाई की बजाए अपने जुनून का पीछा करें. उनके पिता का कहना था, परीक्षाएं तो अगले साल भी दी  जा सकती हैं.

नतीजतन, मिताली न्यूजीलैंड दौरे के लिए चुन ली गईं. विश्व कप में उनके शानदार प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींच लिया और उसके दो साल के भीतर उन्हें टीम का उपकप्तान बना दिया गया.

अपनी स्टाइलिश और धुआंधार बल्लेबाजी और क्रीज पर अपने हावभाव की वजह से मिताली को लेडी सचिन तेंडुलकर कहा जाने लगा था. और अब वह अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी हैं.

मिताली महज 19 साल की थीं जब टॉन्टन में इंग्लैंड के खिलाफ जबरदस्त 214 रन ठोंक डाले थे, लेकिन इस के पहले भी राज ने 1999 में अपने पहले वनडे मैच में आयरलैंड के खिलाफ 114 रन की शतकीय पारी खेली थी.

2005 मे विश्व कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत ने दो विकेट जल्दी गंवा दिए थे, तब टीम की अगुआई कप्तान के रूप में करते हुए मिताली ने शानदार पारी खेलते हुए मैच बचाया था. 2005 विश्वकप में किसी विश्वकप मैच में भारतीय महिला क्रिकेटर के रूप में उन्होंने अधिकतम निजी स्कोर का रिकॉर्ड कायम किया था और 104 गेंदों में 91 रन कूटे थे.

इंग्लैंड के खिलाफ उनकी पहली टेस्ट सीरीज विजय, 2006 में उनकी कप्तानी में एशिया कप में जीत और 2008 में चौथी बार लगातार एशिया कप खिताब हासिल करना हो, इन सबकी वजह से मिताली क्रिकेट की दुनिया की कद्दावर शख्सियत के रूप में उभरीं. महिला वनडे क्रिकेट में वह एकमात्र खिलाड़ी हैं जिन्होंने 6,000 रनों का पहाड़ बनाया है और वनडे में सर्वाधिक पचासे, जिनमें से सात लगातार रहे हैं, लगाए हैं.

2017 के महिला विश्वकप में एक अलग ही आक्रामक रुख वाली राज मैदान पर दिखीं जिसने ग्रुप सीरीज में न्यूजीलैंड के खिलाफ शतक ठोंका और ट्रॉफी जीती. दिसंबर, 2017 में उन्हें साल की आइसीसी वीमेंस वनडे टीम की खिलाड़ी के रूप में नामित किया गया. दर्शकों को भरपूर मनोरंजन करने के साथ ही क्रीज पर धीरज, विकेटों के बीच फुरती से लगाई जाने वाली दौड़, एक भरोसेमंद साझेदारी खड़ी करना ऐसी वजहें रही हैं जिससे राज ने सर्वाधिक वनडे और टी-20 मैचों में भारती की अगुआई की है.  जीत हो या हार, हर बार मिताली ने बेहतर किया है चाहे वह उनका नेतृत्व हो या फिर निजी प्रदर्शन.

उनकी राह कई उपलब्धियां भी आई हैं—2003 में अर्जुन पुरस्कार, 2015 में पद्म श्री और 2017 में वोग पर्सन ऑफ द इयर नामित होना हो—लेकिन राज के पैर मजबूती से जमीन पर टिके रहे हैं.