अफगानिस्तानः ‘आइसमैन’ ने भी छोड़ दिया मुल्क

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 03-12-2021
अफगानिस्तानः ‘आइसमैन’ ने भी छोड़ दिया मुल्क
अफगानिस्तानः ‘आइसमैन’ ने भी छोड़ दिया मुल्क

 

काबुल. अफगानिस्तान के ‘आइसमैन’ के नाम से मशहूर एक अफगान एथलीट ने सुरक्षा खतरों के कारण अपने स्पोर्ट्स क्लब को बंद करने के बाद देश छोड़ दिया है. एक साक्षात्कार में, अफगानिस्तान में फ्रीस्टाइल फुटबॉल के संस्थापक और चैंपियन फारूकी ने तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में सुरक्षा और खेल की स्थिति को ‘चिंताजनक’ बताया.

‘आइसमैन’ फारूकी ने बताया, ‘मैंने अपना खेल और अपनी योजनाओं जारी रखने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इस दौरान मुझे कई बार अज्ञात और संदिग्ध लोगों ने धमकी दी और आखिरकार मुझे अपनी जान बचाने और अपनी खेल गतिविधियों को जारी रखने के लिए देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.’

उत्तरी अफगानिस्तान के बर्फ से ढके पहाड़ों के ठंडे पानी में एक कठिन और थकाऊ शीतकालीन प्रशिक्षण के बाद अफगान एथलीट ने ‘आइसमैन’ उपनाम अर्जित किया था. वह सिनेमा के क्षेत्र में प्रवेश करने वाले थे और एक तुर्की श्रृंखला में अभिनय करने वाले थे.

उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी-अभी एक फिल्म में अभिनय करना शुरू किया है और एक सीरियल के लिए एक तुर्की फिल्म कंपनी के साथ अनुबंध किया है, लेकिन अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से मेरे सारे सपने टूट गए. अब मैं इमिग्रेशन के जरिए अपने सपनों को पूरा करना चाहता हूं.’

एक साल पहले द इंडिपेंडेंट फारसी के साथ एक साक्षात्कार में, अफगानिस्तान के आइस मैन ने कहा था कि सर्दियों में कठोर और थकाऊ खेल प्रशिक्षण का उद्देश्य दुनिया को यह दिखाना है कि अफगानिस्तान के लोग अपने देश से प्यार करते हैं और शांति चाहते हैं.

उस समय फारूकी अफगानिस्तान में शांति चाहते थे और युद्धरत पक्षों के बीच एक समझौता करना चाहते थे, ताकि अफगानों को फिर से पलायन करने के लिए मजबूर न किया जाए, लेकिन अब वह खुद अपने देश और अपनी आकांक्षाओं को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं.

तालिबान के सत्ता में आने के बाद देश छोड़कर भागे एक अन्य पहलवान मुजीब नादर ने द इंडिपेंडेंट से कहा  िआप यहां अपने लक्ष्यों और सपनों को हासिल नहीं कर पाएंगे.

उन्होंने बताया, ‘अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, डर और गंभीर मंदी के कारण खेल और कला गतिविधियां ठंडी हो गई हैं. हालांकि तालिबान ने केवल महिलाओं के लिए खेलों पर प्रतिबंध लगाया है और पुरुषों के लिए कोई विशेष आदेश जारी नहीं किया है. अफगानिस्तान के विभिन्न हिस्सों में अज्ञात समूहों द्वारा असुरक्षा, अपहरण, हिंसा और हत्याओं ने खेल गतिविधियों को बढ़ावा दिया है. इस देश को खिलाड़ियों के लिए खतरनाक बना दिया है.’

दूसरी ओर, अफगानिस्तान में आर्थिक संकट ने लोगों के लिए स्पोर्ट्स क्लब की सेवाएं लेना असंभव बना दिया है और लोगों की चिंताएं जीविकोपार्जन तक ही सीमित हो गई हैं.