हिंदी ने बनाई अपनी वैश्विक पहचान

Story by  ज़ाहिद ख़ान | Published by  [email protected] | Date 09-01-2023
हिंदी ने बनाई अपनी वैश्विक पहचान
हिंदी ने बनाई अपनी वैश्विक पहचान

 

ज़ाहिद ख़ान

10 जनवरी को हम विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं. वर्ष 1975 में इसी दिन नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हुआ था. तब से ही 10 जनवरी को सारी दुनिया में हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में प्रचारित करने के लिए हर साल विश्व हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

विश्व हिंदी दिवस मनाने का सीधा-सीधा उद्देश्य दुनिया भर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना, हिंदी के लिए वातावरण निर्मित करना, हिंदी के प्रति अनुराग पैदा करना और हिंदी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रस्तुत करना है.

विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं. विश्व हिंदी सम्मेलन की यदि बात करें, तो दुनिया के अलग-अलग देशों में विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया जाता है. मॉरीशस, त्रिनिदाद एंड टुबैगो, ब्रिटेन, सूरीनाम, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और फिजी आदि देशों में अभी तलक यह सम्मेलन हो चुके हैं. हर बार एक नये देश में विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया जाता है. ताकि उस देश में हिंदी का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो सके. वहां के लोग इस भाषा के प्रति आकर्षित हों.

14 सितंबर, 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत राजभाषा का दर्जा दिया गया था. एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में लगभग 80 करोड़ से ज्यादा लोग किसी-न-किसी रूप में हिंदी बोलते और समझते हैं.

भारत एक बहुलतावादी, विविधताओं का देश है. जहां कई भाषा, धर्म और संस्कृति के लोग एक साथ निवास करते हैं. इन विविधताओं के बावजूद हिंदी भाषा हमें आपस में जोड़ने का काम करती है. सिर्फ अपने देश में ही नहीं, बल्कि हिंदी भारत को उन तमाम देशों के साथ भी जोड़ती है, जहां भारतीय मूल के लोग बसे हुए हैं.

दुनिया के कई देशों में हिंदी का प्रसार तेजी के साथ हुआ है. वर्तमान परिदृश्य यह है कि भारत के साथ ही सूरीनाम, फिजी, त्रिनिदाद, गुआना, मॉरीशस, थाईलैंड व सिंगापुर इन सात देशों में हिंदी वहां की राजभाषा या सह राजभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुकी है. इतना ही नहीं खाड़ी के देश आबूधाबी में भी हिंदी को न्यायालय की तीसरी भाषा के रूप में मान्यता मिली है.

विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार हिंदी, विश्व की 10 शक्तिशाली भाषाओं में से एक है. विश्व के लगभग 44 ऐसे देश हैं, जहां हिंदी बोलने का प्रचलन बढ़ रहा है. अंग्रेजी और मंदारिन के बाद, हिंदी दुनिया की सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है.

भाषाई विविधता की अगर बात करें, तो अंग्रेजी, मंदारिन और स्पेनिश के बाद, हिंदी दुनिया में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. हिंदी का डंका चारों और बज रहा है. हिंदी, एकदेशीय नहीं बल्कि बहुदेशीय भाषा का रूप ले चुकी है.

दुनिया के 150 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली यह भाषा अमरीका, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस जैसे कई देशों के साथ-साथ नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी काफी लोकप्रिय है. अंग्रेजी और मंदारिन के साथ ही हिंदी की स्वीकार्यता भी दिन-पे-दिन बढ़ रही है. कामकाज से लेकर बोलचाल में इस भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है.

हिंदी आज जिस वैश्विक मुकाम पर है, तो इसके विस्तार के पीछे सरकारी और गैर सरकारी प्रयास भी हैं. वैश्विक स्तर पर हिंदी को बढ़ावा देने के सरकार के भरसक प्रयासों का ही परिणाम है कि विगत कुछ वर्षों में हिंदी का वैश्विक मंच विशाल और समृद्ध हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र में हिंदी की स्थापना का निरंतर प्रयास और विश्व हिंदी सम्मेलनों का आयोजन, यह ऐसे महत्वपूर्ण कार्य हैं जिससे अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर हिंदी की धमाकेदार उपस्थिति दर्ज हुई है. इसकी स्वीकार्यता बढ़ी है.

हिंदी की बढ़ती स्वीकार्यता को इस तरह से समझा जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने अन्य भाषाओं की तरह हिंदी में भी वेबसाइट बनाई है और हिन्दी में रेडियो प्रसारण शुरू किया है. यही नहीं दुनिया की बड़ी आर्थिक महाशक्ति अमेरिका से हर सप्ताह विदेश विभाग की ओर से समसामयिक मुद्दों पर हिंदी में संवाद किया जा रहा है.

हमारे पड़ोसी देश चीन की सरकार ने भी हिंदी में एक वेबसाइट बनाई है और हिंदी में रेडियो प्रसारण शुरू किया है. विश्व के कई देशों में स्कूलों के पाठ्यक्रम में हिंदी पढ़ाई जा रही है. आज विश्व भर में कई पत्र-पत्रिकाएं, वेबसाइट तथा ब्लॉग्स हैं, जो हिंदी का प्रचार-प्रसार बड़ी सुंदरता से कर रहे हैं. आज हिंदी साहित्य का अनुवाद बड़े पैमाने पर विदेशी भाषाओं में हो रहा है.

केवल साहित्य का अनुवाद ही नहीं, विश्व के अधिकांश देशों में हिंदी सोसायटी, हिंदी संस्थाओं का निर्माण हो रहा है. ताकि हिंदी भाषा के प्रति वहां के लोग आकर्षित हों. हिंदी भाषा की यह बढ़ती शक्ति और स्वीकार्यता नहीं तो और क्या है कि हर साल ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हिंदी शब्दों को शामिल किया जाता है.

हिंदी की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हर साल इंटरनेट पर हिंदी विषयों की मांग 94 फीसद बढ़ रही है. हिंदी और भारतीय भाषाओं की पुस्तकों का डिजिटाइजेशन बढ़ा है. इंटरनेट और संचार के नए सामाजिक माध्यम फेसबुक और वॉट्सएप हिंदी के साथ कदम से कदम मिला रहे हैं.

याहू, गूगल जैसे सर्च इंजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी सॉफ्टवेयर कंपनियां हिंदी का प्रयोग कर रही हैं. नेटस्केप, मोज़िला फायरफॉक्स आदि ब्राउज़र्स भी हिंदी को अपना रहे हैं. यूनीकोड के माध्यम से आज कंप्यूटर पर हिंदी में कार्य करना पहले से सरल हो गया है.

एक दशक पहले तक गूगल प्ले स्टोर से कोई भी एप डाउनलोड करने पर भाषा चुनने में हिंदी का विकल्प नहीं आता था. अब स्थिति यह है कि हिंदी अनिवार्य हो गई है. बैकिंग एप, ग्रॉसरी एप, मार्केटिंग एप हो या ट्विटर हर जगह हिंदी ने अपनी जगह बना ली है.

गूगल ने हिंदी टाइपिंग को लेकर गूगल इंडिक बनाया है. ताकि हिंदी टाइपिंग को सुविधाजनक बनाया जा सके. जबकि इससे पहले हिंदी में तकनीक सिर्फ टाईप राईटर तक ही सीमित थी, उसके प्रति भी युवाओं का आकर्षण कम होता जा रहा था. पर अब ऐसे कई एप आ गए हैं, जिनमें हिंदी टाइप ही नहीं, बल्कि बोलकर भी सरलता से टाइप किया जा सकता है.

गूगल जैसा सर्च इंजन हिंदी को विशिष्ट स्थान दे रहा है. यही हाल कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर की बड़ी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट और बड़ी मोबाइल कंपनियों का है. वह अपने ऐसे कम्प्यूटर और हैंडसेट्स बना रही हैं, जो हिंदी को सपोर्ट करते हैं.

भारत के आर्थिक विकास और एक उभरती हुई वैश्विक ताकत के रूप में उसकी एक नई पहचान के कारण विश्व-समुदाय, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा विभिन्न समाजों, समुदायों एवं व्यक्तियों के बीच हिंदी का महत्व दिन-पे-दिन बढ़ता जा रहा है.

हिंदी के बढ़ने के पीछे बाजार भी है. भारत आज एक बड़ा बाज़ार है, जहां एक अरब से ज़्यादा की आबादी निवास करती है. वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियां अपनाने के बाद हमारे देश में हर क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने प्रवेश किया है. भारत में कार्य करने के लिए यह कंपनियां हिंदी जानने वाले कर्मचारियों को वरीयता दे रही हैं. ताकि अपने उत्पादों की मार्केटिंग और भी बेहतर तरीके से कर सकें. हमारी फिल्में और गीत-संगीत की लोकप्रियता, दुनिया में निर्विवाद है.

फिल्मों और गीत-संगीत का आनंद लेने के लिए विदेशी विशेष तौर पर हिंदी सीखते हैं. भले परदेश में हिंदी उतनी न बोली जाती हो, परंतु वहां के निवासी हिंदी गीतों को गुनगुनाते और उन धुनों पर थिरकते मिल जाएंगे. यह किसी भाषा की एक बड़ी सफलता है. गीत-संगीत ही नहीं, विदेशों में टेलिविजन पर दिखाये जाने वाले हिंदी धारावाहिक भी बेहद लोकप्रिय हैं.

स्थिति यह है कि संसार भर में मनोरंजन जगत में हिंदी का उपयोग बढ़ा है. इसके लिए हिंदी में बाकायदा सबटाइटलटिंग, डबिंग, वॉयस ओवर, कंटेट राइटिंग, फिल्म पटकथा लेखन आदि तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है. हॉलीवुड की फिल्में हिंदी में डब हो रही हैं और हिंदी फिल्में देश के बाहर देश से अधिक कमाई कर रही हैं.

कल तक जो विज्ञापन अंग्रेजी में बनाये जाते थे, अब हिंदी में आ रहे हैं. हिंदी, विज्ञापन उद्योग की मनपसंद भाषा बन गई है.

आज भले ही पूरे विश्व में हिंदी की अपनी एक अलग पहचान और सम्मान है, लेकिन इन उपलब्धियों को पाकर हमें चैन से नहीं बैठ जाना है. हिंदी को किस तरह और सहज, सरल बना पायें, इसके निरंतर प्रयास करने होंगे. यही नहीं इसकी एकरूपता पर भी ध्यान देना आवश्यक है. हिंदी भाषा के विकास और इसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए इसमें आधुनिकता का समावेश भी अत्यंत आवश्यक है. ताकि हर धर्म, रंग, नस्ल और आयु वर्ग के लोग इसकी ओर आकर्षित हो सकें. आगे आकर इससे जुड़ें.