श्रीरंगपट्टन की जामिया मस्जिद बन रही है कर्नाटक की ज्ञानवापी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 21-05-2022
श्रीरंगपट्टन की जामिया मस्जिद बन रही है कर्नाटक की ज्ञानवापी
श्रीरंगपट्टन की जामिया मस्जिद बन रही है कर्नाटक की ज्ञानवापी

 

बेंगलुरू. एक ओर वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद जारी है, तो वहीं कर्नाटक में हिंदू कार्यकर्ता मांड्या जिले के ऐतिहासिक शहर श्रीरंगपट्टन में स्थित जामिया मस्जिद के सर्वे और निरीक्षण के लिए कानूनी राह अपनाने की तैयारी कर रहे हैं.

मांड्या के जिला आयुक्त (डीसी) अश्वथी.एस को पहले ही कार्यकर्ताओं को एक याचिका मिल चुकी है कि वे यह सत्यापित करने के लिए निरीक्षण करें कि क्या जामिया मस्जिद हनुमान मंदिर के खंडहरों पर बनाई गई थी.

नरेंद्र मोदी विचार मंच के राज्य सचिव सी.टी. मंजूनाथ ने आईएएनएस को बताया कि, "डीसी ने हमें सूचित किया है कि वहे पहले ही सरकार को एक अनुरोध भेज चुकी हैं. हिंदू संगठन अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए तैयार हैं."

मैसूर के तत्कालीन शासक टीपू सुल्तान द्वारा बनाई गई जामिया मस्जिद विवाद का केंद्र बन गई है, क्योंकि हिंदू संगठनों ने आगामी हनुमान जयंती के दौरान श्रीरंगपट्टन में भगवान हनुमान के 6 लाख मालाधारी भक्तों की मण्डली की घोषणा की है, जिससे कानून और व्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ गई है. संगठनों ने मस्जिद में पूजा अर्चना करने के लिए अधिकारियों से अनुमति भी मांगी है. 

मस्जिद के अधिकारियों ने पहले ही अधिकारियों से हिंदू कार्यकर्ताओं से मस्जिद की रक्षा के लिए कई बार अपील की है. जामिया मस्जिद, (जिसे मस्जिद-ए-आला भी कहा जाता है) श्रीरंगपट्टन किले के अंदर स्थित है. 1786-87 में बनी इस मस्जिद में तीन शिलालेख हैं, जिनमें पैगंबर मुहम्मद के 9 नामों का उल्लेख है.

मस्जिद में दो मीनारें हैं जिन्हें एक ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है. मीनार के प्रत्येक चरण को अलग करने वाली गैलरी वाली बालकनी हैं. मस्जिद दो मंजिला है और अन्य मस्जिदों के विपरीत, इसमें कोई गुंबद नहीं है. जामिया मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के बेंगलुरु सर्कल द्वारा प्रशासित है. 

इस दौरान सी.टी. मंजूनाथ ने बताया कि वे इस बात को पुख्ता सबूत के साथ मानते हैं कि जामिया मस्जिद का निर्माण एक हनुमान मंदिर को गिराकर किया गया है. उन्होंने आईएएनएस को बताया, "ब्रिटिश इतिहासकार, पुरातत्वविद् और शिक्षाविद् बी. लुईस राइस ने एएसआई को दी अपनी रिपोर्ट में पृष्ठ संख्या 61 पर 1935 में हनुमान मंदिर का उल्लेख किया है."

 

"इसके अलावा, मालाबार मैनुअल, लुईस राइस का मैसूर गजेटियर, तारीख-ए-टीपू, हैदर-ए-निशानी भी टीपू सुल्तान द्वारा मंदिरों को गिराने के पर्याप्त प्रमाण दिये गये हैं. टीपू सुल्तान की तलवार पर एक शिलालेख है, जिस पर लिखा है कि यह उन लोगों के खिलाफ जाएगा, जो इस्लाम का पालन नहीं करते हैं."

उन्होंने आगे कहा, "हमारे मंदिर के बारे में पूछना असहिष्णु नहीं है. देश में 7 लाख सक्रिय मस्जिद हैं. अगर हिंदू असहिष्णु होते, तो यह संभव नहीं होता. यहां तक कि मुस्लिम देशों में भी इतनी बड़ी संख्या में मस्जिद नहीं हैं."

मंजूनाथ ने कहा कि एएसआई द्वारा एक बोर्ड लगाया गया है, जो मस्जिद में किसी भी गतिविधि पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन तब्लीगी यहां हर साल प्रशिक्षण के लिए पहुंचते हैं. साथ ही उन्होंने कहा, " देवी अन्नपूर्णेश्वरी की मूर्ति अभी नहीं मिली है. हिंदू मूर्तियों, धार्मिक प्रतीकों की मूर्तियों और पैरों के निशान को तराशा गया है. इस मुद्दे को पहले ही उठाया जा चुका है."

हिंदू कार्यकर्ताओं का कहना है कि मस्जिद के अंदर तत्कालीन होयसला साम्राज्य के प्रतीक हैं. मस्जिद के अंदर 'कल्याणी' (मंदिर परिसर के अंदर निर्मित पारंपरिक हिंदू जल निकाय) है. प्रत्येक स्तंभ में 'गंडभेरुंड' (हिंदू पौराणिक कथाओं में दो सिर वाला पक्षी) और 'सिंह' (शेर) का प्रतीक भी है. हिंदू कार्यकर्ताओं का मानना है कि श्रीरंगपट्टन शहर में ऐतिहासिक श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर के 8 दिशाओं में हनुमान मंदिर बनाए गए हैं. जामिया मस्जिद भी उनमें से एक थी.

एक बड़े कन्नड़ दैनिक अखबार के लिए काम करने वाले वरिष्ठ पत्रकार नंजे गौड़ा ने इस विचार का विरोध किया और आईएएनएस को बताया, "श्रीरंगपट्टन शहर में प्रसिद्ध, सबसे पवित्र और प्राचीन 9वीं शताब्दी का श्री रंगनाथ मंदिर, जो टीपू पैलेस लोटस महल के 200 मीटर के भीतर स्थित है, बरकरार है. इसको लेकर टीपू सुल्तान या उनके पिता हैदर अली द्वारा खलल नहीं डाला गया. वास्तव में मंदिर परिसर में हैदर 'मंडप' है. हैदर अली ने उदारता से मंदिर में योगदान दिया है." गौड़ा को डर है कि यह क्षेत्र में एक बड़ा मुद्दा बन जाएगा. उन्होंने कहा, "हिजाब संकट के बाद भगवा शॉल लगभग सभी हिंदू छात्रों तक पहुंच गया है. आने वाले दिनों में कुछ भी हो सकता है."

जामिया मस्जिद को गिराने का आह्वान करने के आरोप में काली मठ के ऋषि कुमार स्वामीजी को जनवरी में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने इसे तब तक बंद रखने की मांग की थी, जब तक यह तय नहीं हो जाता कि यह मंदिर है या मस्जिद.

 

ऋषि कुमार स्वामीजी ने कहा, "नाग देवताओं के लिए स्तंभ, चबूतरे को देखकर एक हिंदू बच्चा भी भड़क जाएगा. मैं एक ऋषि हूं. मुझे कैसा महसूस करना चाहिए? मेरे मंदिर के साथ जो हुआ उसे देखकर मुझे स्वाभाविक रूप से पीड़ा हुई. मुझे कानून में विश्वास है. इस कानून के माध्यम से, राम मंदिर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहा है. मुझे यकीन है कि इस मामले में न्याय मिलेगा."

उन्होंने कहा, "बाबरी मस्जिद के लिए, अधिकारियों को मस्जिद के नीचे जमीन खोदनी होगी और सबूत तलाशने होंगे. लेकिन, इस मामले में श्रीरंगपट्टन शहर के अधिकारियों को सिर्फ मस्जिद के दस्तावेज प्राप्त करने होंगे."

ऐतिहासिक श्रीरंगपट्टन को हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा कर्नाटक के अयोध्या के रूप में माना जाता है. सूत्रों का कहना है कि हिंदू कार्यकर्ताओं के इस मुद्दे को उठाने के साथ, पार्टी उस क्षेत्र में चुनावी जीत हासिल करने के लिए किया जा रहा है, जिसे वर्तमान में क्षेत्रीय पार्टी जद (एस) का गढ़ माना जाता है.

श्रीरंगपट्टनशहरमांड्याजिलेमेंस्थितहै, जिसेप्रमुखवोक्कालिगासमुदायकागढ़मानाजाताहै.विशेषज्ञोंकाकहनाहै, विपक्षकेनेतासिद्धारमैयाकेसाथप्रदेशकांग्रेसअध्यक्षडी.के. शिवकुमारहिंदुत्वविचारधाराकेखिलाफखड़ेहैं, भाजपाकेलिएयहांराजनीतिकलाभउठानाआसाननहींहोगा. यहभीदेखाजानाबाकीहैकिशहरमेंहालातकैसेबनतेहैं, जिसकासीधाअसरराजधानीबेंगलुरुपरपड़ेगा.