प्रोफेटिक मेडिसिन के डॉक्टरों को संगठित करने का अभियान शुरू

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 10-03-2021
सुप्रीम तिब्ब काउंसिल का सदस्यता प्रमाणपत्र
सुप्रीम तिब्ब काउंसिल का सदस्यता प्रमाणपत्र

 

शकील अहमद/ तिरुवनंतपुरम

 देश में प्रोफेटिक (पैगंबर) मेडिसिन (अल-तिब्ब अल-नबावी) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केरल स्थित ट्रेडीशनल प्रोफेटिक मेडिसिन एसोसिएशन ट्रस्ट (टीपीएमएटी) ने सुप्रीम तिब्ब काउंसिल की शुरुआत की है. काउंसिल प्रोफेटिक मेडिसिन के चिकित्सकों और डॉक्टरों को एक मंच प्रदान करेगी और यह उन डॉक्टरों के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान करेगी, जो प्रोफेटिक मेडिसिन की प्रेक्टिस में रुचि रखते हैं.

काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. मुहम्मद गफूर सकाफी ने कहा कि काउंसिल के गठन का विचार वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में प्रॉफेटिक मेडिसिन को मान्यता देने के बाद आया है. उन्होंने कहा कि प्रॉफेटिक मेडिसिन ट्रस्ट ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.

उन्होंने कहा, “इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से प्रोफेटिक मेडिसिन इंस्टीट्यूट्स को विभिन्न आदेश प्राप्त हुए हैं. इन आदेशों और केंद्रीय अधिनियम 1882के आधार पर, टेªडीशनल प्रोफेटिक मेडिसिन प्रेक्टिसनर्स एसोसिएशन ट्रस्ट पंजीकृत किया गया था और इसके तहत सुप्रीम तिब्ब काउंसिल का गठन किया गया.”

इस्लाम के तहत प्रोफेटिक मेडिसिन बीमारी, उपचार और स्वच्छता के संबंध में पैगंबर मुहम्मद द्वारा दी गई सलाहें हैं, जो हदीस में पाई गई हैं, और इन परंपराओं को संजोने और उनकी खोज करने के लिए गैर-चिकित्सक विद्वानों द्वारा इस बारे में मुख्य रूप से लिखा गया है.

यहां यह उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ की 2014में आल्मा अट्टा घोषणा के माध्यम से आल्टरनेटिव मेडिसिन सीनेट द्वारा प्रोफेगेटिक मेडिसिन को एक पूरक चिकित्सा प्रणाली के रूप में सम्मानित किया गया था.

डब्ल्यूएचओ के भारतीय कार्यालय ने एक पत्र के माध्यम से आयुष मंत्रालय को इसकी सूचना दी है.

केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2017में वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में भविष्यवाणी चिकित्सा को सूचीबद्ध किया और इस स्थिति को प्रकाशित किया गया. बाद में भारत में विभिन्न स्थानों पर विभिन्न प्रोफेटिक मेडिसिन निजी संस्थानों का गठन किया गया. चूंकि प्रोफेटिक मेडिसिन को वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, इसलिए स्वाभाविक रूप से इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैकल्पिक चिकित्सा चिकित्सकों को दी गई स्वतंत्र अभ्यास की स्थिति प्राप्त हो गई है.

परिषद के बाईलाज को ट्रस्ट द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दी गई एक लंबित याचिका के आधार पर तैयार किया गया था, जिसमें प्रोफेटिक मेडिसिन के कानूनी पक्ष शामिल हैं. डॉ. गफूर सकाफी ने कहा कि परिषद में विभिन्न श्रेणियों में वैज्ञानिक विद्वानों और पारंपरिक विद्वानों को सदस्यता देने की व्यवस्था है. काउंसिल राष्ट्रीय सदस्यता देने और देश भर में प्रशिक्षण संस्थान बनाने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा कि परिषद की गतिविधियों के लिए दिल्ली को आधार बनाया जाएगा.