पीएम मोदी मुस्लिम प्रतिनिधियों को बुलाएं और बात करेंः प्रो. अख्तरुल वासे

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 15-06-2022
पीएम मोदी मुस्लिम प्रतिनिधियों को बुलाएं और बात करेंः प्रो. अख्तरुल वासे
पीएम मोदी मुस्लिम प्रतिनिधियों को बुलाएं और बात करेंः प्रो. अख्तरुल वासे

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

इस्लामिक स्कॉलर एवं शिक्षाविद प्रो. अख्तरुल वासे ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि पीएम मोदी द्वारा मुसलमानों को सकारात्मक बातचीत के लिए बुलाया जाना चाहिए. ताकि वे अपना दुख व्यक्त कर सकें और अपनी समस्याएं बता सकें.

प्रो. अख्तरुल वासे ने पत्र में कहा, ‘‘मैं पीएम से अनुरोध करता हूं कि मुसलमानों को सकारात्मक और सक्रिय बातचीत के लिए आमंत्रित करें, ताकि वे उन्हें अपना दुख व्यक्त कर सकें. इस द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से प्रधानमंत्री भारत को शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, आंतरिक स्थिरता और निर्माण एवं विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं. ‘मतभेद’ बंद होने चाहिए.’’

वासे ने कहा, ‘‘इस संवाद के लिए, पीएम, मुस्लिम सांसदों, सभी मुस्लिम संगठनों के नेताओं, मुस्लिम बुद्धिजीवियों, नागरिक समाज के महत्वपूर्ण लोगों और प्रतिष्ठित मुस्लिम पत्रकारों को आमंत्रित कर सकते हैं. यह एक ऐसी पहल होगी, जो बेहतर भविष्य के लिए बेहतर संभावनाएं पैदा करेगी.’’

शर्मा और जिंदल के खिलाफ सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा की गई कार्रवाई पर, वासे ने कहा, ‘‘प्रवक्ता (शर्मा) का निलंबन और पैगंबर का अपमान करने के लिए दिल्ली शाखा (जिंदल) के प्रवक्ता की बर्खास्तगी पीएम के इशारे पर हुई होगी, जो सही कदम था. हम इसका पूरा समर्थन करते हैं.’’

हालांकि, उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी का विरोध करने वालों को सलाखों के पीछे नहीं डाला जाना चाहिए.

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वासे ने कहा, ‘‘हम किसी भी व्यक्ति के खिलाफ किसी भी तरह के हिंसक व्यवहार, मांगों और उग्रवाद के पक्ष में नहीं हैं. लेकिन, ऐसा नहीं होना चाहिए कि जो लोग उनका (शर्मा और जिंदल) विरोध करने के लिए अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया जाए. यह ‘अन्यायपूर्ण’ है. ऐसा व्यवहार अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों में बेचैनी पैदा कर रहा है.’’

वासे ने अपने खुले पत्र में लिखा, ‘‘हम इस स्थिति से खुश नहीं हैं. भारतीयों के रूप में, हम चाहते हैं कि हमारे देश को बदनाम न किया जाए, साथ ही हम चाहते हैं कि हमारे धार्मिक बहुलवाद का सम्मान किया जाए. किसी भी धर्म, उसके विद्वानों और पवित्र किताबों का किसी भी तरह से अपमान किया जाए.’’

उन्होंने यह भी दावा किया कि शहरों के नाम बदलने, इतिहास बदलने की कोशिश और हिजाब के नाम पर मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित करने जैसी घटनाएं असंतोष पैदा कर रही हैं.