मस्जिदें बनीं आक्सीजन, दवा और अंत्येष्टि संस्कार केंद्र

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 20-05-2021
मस्जिदों से लोगों की सेवा
मस्जिदों से लोगों की सेवा

 

- गैर-मुसलमानों को 50 फीसदी से ज्यादा ऑक्सीजन दी जा रही है

- ऑक्सीजन रेगुलेटर, दवाएं दी जा रही हैं

- अंतिम संस्कार के लिए निरूशुल्क कार व अन्य सामग्री

गौस सिवानी / नई दिल्ली-लखनऊ

कोरोना वायरस के दौर में सांप्रदायिक सौहार्द के कई उदाहरण देखने को मिले हैं. लखनऊ ने भी एक अनूठी मिसाल कायम की है. लखनऊ की मस्जिदों से कोरोना मरीजों को मुफ्त ऑक्सीजन कंसेंटेटर मुहैया कराए जा रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि मस्जिद समितियों ने नियम बना दिया है कि गैर-मुस्लिम मरीजों को 50 फीसदी से ज्यादा ऑक्सीजन कंसंटेटर दिए जाएंगे. ताकि कोई यह न कह सके कि मस्जिदों से सिर्फ मुसलमानों की मदद हो रही है.

लखनऊ की लाल बाग जामा मस्जिद में नमाज अदा की जा रही है और दवा दी जा रही है. पूजा करने वालों की कतारों के अलावा ऑक्सीजन कंसेंटेटर के लिए कतारें, पीपीई किट, ऑक्सीजन रेगुलेटर भी यहां देखे जा सकते हैं.

मसूद कमेटी के अध्यक्ष जानून नोमानी ने कहा कि बहुत कुछ बंट चुका है और कुछ का बंटवारा जारी है. नोमानी का कहना है कि लोग यहां आते हैं और रोने लगते हैं. रात के 3-4 बजे भी लोग हमें फोन कर मदद मांगते हैं. हम जरूरतमंदों की मदद करने में लगे हैं.

बच गई काकरीजानम की मां

नोमानी की मीडिया से बात करते हुए रचित काकरीजानम नाम का शख्स वहां पहुंचा. उनके पिता के ऑक्सीजन का स्तर तेजी से गिर गया था. कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उसे ऑक्सीजन दी गई. काकरीजानम परेशान और खुश थे. काकरीजानम ने कहा, “मेरा एक दोस्त यहां मस्जिद के सामने से गुजर रहा था. उसनेयहां एक बैनर देखा, जिसमें लिखा था कि कोरोना पीड़ितों की यहां मदद की जा रही है, इसलिए उन्होंने मुझे सूचित किया. फिर काकरीजानम ने यहां फोन किया और उन्हें आने के लिए कहा गया.”

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लाल बाग जामा मस्जिद, लखनऊ 


पड़ोसी मदद करते हैं

प्रमोद शर्मा नाम के एक अन्य व्यक्ति ने यहां से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लिया. उनके घर में सब कुछ ठीक है, लेकिन वह कंसंट्रेटर से पड़ोसियों की मदद कर रहे हैं. प्रमोद ने कहा, “उसके पड़ोस में एक चाची है, जिसका नोएडा में एक बेटा है, इसलिए हम उसकी मदद कर रहे हैं. पिछले तीन दिनों में उनके ऑक्सीजन के स्तर में काफी गिरावट आई है. वह पहले भी उनकी मदद कर चुके हैं.”

हिंदुओं के लिए अधिक ऑक्सीजन

नोमानी का कहना है कि शहर में मुसलमानों से ज्यादा हिंदू हैं, इसलिए उनमें यह बीमारी ज्यादा है. इसलिए, गैर-मुसलमानों के लिए सहायता 50 प्रतिशत आवंटित की गई है है. नोमानी ने कहा, “यह कोई बड़ी बात नहीं है, हम सिर्फ लोगों की मदद कर रहे है. हम हिंदुओं और मुसलमानों को नहीं देख रहे हैं. यहां हर जरूरतमंद की मदद की जाती है.”

राकेश कुमार का मुआवजा

जानून नोमानी ने बताया कि आलम बाग निवासी राकेश कुमार की मां की तबीयत खराब थी. उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिली, तो यहां आकर उन्होंने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लिया. जब मेरी मां ठीक हुईं, तो उन्होंने आकर मुझे धन्यवाद दिया. हमें लगा कि हमें सारा मुआवजा मिल गया है. काकरीजा और प्रमोद शर्मा, सुबोध और चंदन कुमार ही थे, जो रोते हुए आए और हंसते हुए गए.

नूर मस्जिद सेवा

लाल बाग में जामिया मस्जिद के अलावा इंदिरा नगर स्थित नूर मस्जिद की ह्यूमैनिटेरियन वेलफेयर सोसाइटी ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ-साथ खाने-पीने का सामान भी मुहैया करा रही है. वहीं कोरोना प्रभावित शवों के अंतिम संस्कार के लिए वाहन व अन्य सामान निःशुल्क बांट रहा है.

यहां के प्रबंधन से जुड़े के मुहम्मद इमरान और कुदरतुल्लाह खान ने कहा कि रमजान के महीने से मदद का सिलसिला जारी है. उन्होंने कहा कि ढोल पीटकर मदद करने से बेहतर है कि मौन रहकर मानवता की मदद की जाए. बहुत से लोग रोते हुए आते हैं और खुश होकर चले जाते हैं. उनके चेहरे पर मुस्कान देखकर बड़ी खुशी होती है.

राहत मानवता फाउंडेशन की सेवा

प्रभावित इलाकों की भी सफाई की जा रही है. लक्करमंडी की रिलीफ ह्यूमैनिटी फाउंडेशन द्वारा राशन किट के साथ-साथ ऑक्सीजन सिलेंडर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. फाउंडेशन के चांद मोहम्मद ने कहा कि रमजान के पहले से ही होम क्वारंटाइन लोगों को उनके घरों में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम चल रहा है.