लद्दाखः सोनम वांगचुक ने क्या किया कि बर्फीली पहाड़ियों पर सुरक्षा में तैनात सैनिकों की जिंदगी होगी आसान

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 22-02-2021
लद्दाखः सोनम वांगचुक ने क्या किया कि बर्फीली पहाड़ियों पर देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों की जिंदगी होगी आसान
लद्दाखः सोनम वांगचुक ने क्या किया कि बर्फीली पहाड़ियों पर देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों की जिंदगी होगी आसान

 

मलिक अगसर हाशमी / नई दिल्ली

भारत-चीन के बीच पैंगोंग झील के मुद्देर पर कमांडर स्तर की वार्ता की एक बड़ी वजह वहां पड़ने वाली खून जमा देने वाली सर्दी भी है. इस समय लद्दाख के दिन का तापमान माइनस 14डिग्री सेल्सियस है, जब कि रात में यह 40 डिग्री तक गिर जाता है. ऐसे में सर्वाधिक परेशानी होती है भारत की सीमा की सुरक्षा में तैनात प्रहरियों को.

कई बार उनकी जिंदगी खतरे में पड़ जाती है. मगर अब उनके लिए राहत भरी खबर आई है. बर्फीले पहाड़ों पर तैनात सैनिकों को राहत पहुंचाने के लिए ‘सोलर हिटेड टेंट’ का अविष्कार किया गया है. इस दुर्लभ टेंट के अविष्कारक हैं इंजीनियर से शिक्षा सुधारक बने सोनम वांगचुक. वह बताते हैं,‘‘ ग्लेशियर में तैनात सैनिकों की दिक्कत को देखते हुए उन्होंने तकरीबन 15 वर्ष पहले इस दिशा में काम शुरू किया था.

इस क्रम में लद्दाख के एक आदिवासी के लिए ऐसा ही एक टेंट बनाया था. मगर नया टेंट उससे कई मायने में भिन्न है’’.वांगचुक लद्दाख में हिमालयन इंस्टीट्यूट आफ अल्टर्नेटिव नाम से एक वैकल्पिक विश्वविद्यालय चलाते हैं, जहां विशेष तौर से पहाड़ों में सुरक्षात्मक जीवन-यापन के तौर-तरीकों पर अध्ययन और अविष्कार किया जाता है. सोनम वांगचुक बताते हैं कि ‘सोलर हिटेड टेंट’ की इजाद में भारतीय सेना ने भी मदद की है.

मौजूदा स्थिति

अभी बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों के रहने के लिए लोहे के कैंटेनर या कपड़े-तिरपाल से बने टेंट की व्यवस्था है. यह कई मायने में असुरक्षित हैं. वांगचुक कहते हैं, ‘‘इसे गर्म रखने के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों लीटर कैरोसिन जलाना पड़ता है. इससे जहां पर्यावरण को नुक्सान पहुंचता है, ग्लेशियर पिघलने की घटनाएं भी बढ़ी हैं.

कई बार ऐसे टेंटों में आग लगने से जवानों की मौत तक हो जाती है. यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं होने के साथ सर्दी के मौसम का मुकाबला करने लायक भी नहीं होते.

‘सोलर हिटेड टेंट’ है सुरक्षित

सेनम वांगचुक बताते हैं कि यह आधुनिक टेंट कई मायने में सुरक्षित है. इसके अंदर का तापमान न केवल सामान्य रहता है. इसे गर्म रखने के लिए केरोसिन भी जलाना नहीं पड़ता. सबसे बड़ी बात है कि इसे कहीं भी उठाकर ले जा सकते हैं.

soler heted tent

टेंट के दो हिस्से, तीन काम

इस खास तरह के टेंट के दो हिस्से हैं. आगे का हिस्सा ‘ग्रीन रूम’ है. यह गोलाकार है और पूरी तरह ढका हुआ भी. सोनम वांगचुक ने बताया कि पहला हिस्सा दक्षिण की तरफ रखा जाता है. उधर से धूप सीधी ग्रीन रूम पर पड़ती है. इस हिस्से में बैठकर सैनिक हथियारों की सफाई और दूसरे काम कर सकते हैं, जबकि दूसरा हिस्सा ’स्लिपिंग चैंबर’ है. इसमें एक साथ 10सैनिक रह सकते हैं.

लद्दाख की उत्तर दिशा में बर्फीली पहाड़ियां हैं. दक्षिण दिशा से धूप सीधे टेंट पर पड़ती है. ग्रीन एरिया के पारदर्शी हिस्से से धूप ‘स्लीपिंग चैंबर’ की दीवार से टकराती है. यह दीवार पानी, पोलि कार्बेट और अन्य सामग्री से बनी हुई है. यह गर्मी को संचित कर ‘स्लीपिंग चैंबर’ को गर्म रखती है. यह हिस्सा ‘स्लीपिंग बैग’ जैसी सामग्री के चार लेयर से पूरी तरह ढका होता है.

सर्दी बढ़ने या घटने पर इसके लेयर को कम या ज्यादा किया जा सकता है. अंदर का अधिकतम तापमान 15डिग्री तक होता है.

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कर सकते हैं शिफ्ट

टेंट के अविष्कारक सोनम वांगचुक बताते हैं कि इसे कहीं भी स्थानांतरित किया जा सकता है. टेंट के 30 से 40 हिस्से कर कहीं भी ले जा सकते हैं. एक हिस्से का वनज 20से 30किलो होता है.

टेंट की कीमत

एक ‘सोलर हिटेड टेंट’ की लागत करीब पांच लाख रूपये है. वांगचुक बताते हैं कि अल्यूम्युनियम से बने टेंट की कीमत थोड़ी ज्यादा पड़ सकती है. उसका वजन भी थोड़ा ज्याद होगा. सेना में रहे गैरव सावंत इस टेंट के बारे में कहते हैं-‘‘यह एल्टीट्यूट लद्दाख टेंट है. इसके आने से हिम क्षेत्र में सेना की रक्षा करने वालों को बहुत सहूलियत मिलेगी.