लद्दाख में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना ‘शोषण से मुक्ति’ का हिस्सा

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 22-07-2021
अनुराग ठाकुर
अनुराग ठाकुर

 

लेह. एक ऐसे क्षेत्र के लिए, जो छह महीने बर्फ से ढका रहता है और जहां के बच्चों को स्नातक स्तर के कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए लगभग 400 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है, वहां गुरुवार को एक केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का फैसला लिया जाना ऐतिहासिक है.

केंद्रीय विश्वविद्यालय को शिक्षा और अनुसंधान के केंद्र के रूप में स्थापित करने का केंद्रीय कैबिनेट का निर्णय, क्षेत्र के बौद्धिक असंतुलन को भी दूर करेगा.

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिल्ली में घोषणा की कि लद्दाख में 7,500 करोड़ रुपये की लागत से केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी और लेह के लिए यह खुशखबरी है.

ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय का पहला चरण चार साल में पूरा होगा.

उन्होंने बताया कि लद्दाख में केंद्रीय विश्वविद्यालय के गठन की सुविधा के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया जाएगा.

केंद्रीय विश्वविद्यालय का अधिकार क्षेत्र लेह और कारगिल जिलों सहित पूरे लद्दाख को कवर करेगा.

लद्दाख क्षेत्र के लोगों ने कहा कि यह निर्णय उनकी सदियों पुरानी आकांक्षा की पूर्ति का प्रतीक है, जबकि स्थानीय छात्रों और विद्वानों ने कहा कि वे इस क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण स्थान बनाने के उद्देश्य से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करेंगे.

लेह शहर की निवासी सोनम नारबू ने कहा, “हम हमेशा से लद्दाख में एक उच्च स्तरीय उच्च शिक्षा केंद्र की कामना करते हैं और एक केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय हमारे छात्रों के लिए नए रास्ते खोलेगा और उच्च सपनों को पोषित करेगा.”

स्थानीय छात्रों और विद्वानों के सपनों को आगे बढ़ाने के अलावा, केंद्रीय विश्वविद्यालय क्षेत्र के बाहर के विश्वविद्यालयों में लगे लद्दाखी शिक्षकों और शोधकर्ताओं को भी आकर्षित करेगा.

लद्दाख से भाजपा के लोकसभा सदस्य जे. सेरिंग नामग्याल ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का गुरुवार के कैबिनेट का फैसला जश्न मनाने लायक है. यह लद्दाख को अंधेरे और शोषण से मुक्त करने में एक मील का पत्थर है.