कट्टरता के खिलाफ मूकदर्शक बने रहना सही नहीं, मिलकर उठानी होगी आवाजः एनएसए डोभाल

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 30-07-2022
सर्वधर्म सम्मेलन में धर्मगुरुओं के साथ एनएसए डोभाल
सर्वधर्म सम्मेलन में धर्मगुरुओं के साथ एनएसए डोभाल

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने कहा है कि देश में कुछ कट्टरपंथी तत्वों के लोगों को धर्म और आस्था के नाम पर बांटने से सभी लोगों पर असर पड़ता है और इसका मुकाबला किया जाना चाहिए.

एनएसए अजित डोभाल ने शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित एक सर्वधर्म सम्मेलन में कहा, “कुछ तत्व ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो भारत की प्रगति में बाधा डाल रहा है. वे धर्म और विचारधारा के नाम पर कटुता और संघर्ष पैदा कर रहे हैं, यह पूरे देश को प्रभावित कर रहा है और देश के बाहर भी फैल रहा है.”

उन्होंने कहा कि दुनिया में संघर्ष का माहौल है, अगर हमें उस माहौल से निपटना है तो देश की एकता को एक साथ बनाए रखना जरूरी है.भारत जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, उससे सभी धर्मों के लोगों को फायदा होगा.

एनएसए ने कहा कि देश को बांटने में कुछ लोगों का हित सधता है, हमें अमन और भाईचारे का माहौल तैयार करना होगा. देश को एकजुट करने में हम सबको एक होना होगा.

उन्होंने कहा कि हम सब भारतीय हैं और अगर देश डूबेगा तो इस जहाज के साथ हम भी एक साथ डूबेंगे और यह अगर बाधाओं को पार करेगा तो हम सब भी पार उतरेंगे.

एनएसए डोभाल ने कहा कि आज मुट्ठी भर कट्टरपंथी जोर से बोल रहे हैं जबकि इसके विरोध में खड़े लोगों की संख्या अधिक है लेकिन वे लोग उनकी आवाज एकजुट और तेज नहीं है. मुख्यधारा की यह आवाज कमजोर है इसको मजबूत बनाना होगा. हमें जमीन पर काम करना होगा और आपसी गलतफहमियों को दूर करना होगा.

उन्होंने कहा कि यह बात मुल्क के हर वर्ग, हर समुदाय को महसूस करना होगा कि यह हमारा मुल्क है और यहां विविध धर्मों के लोग हैं और जेहाद का मतलब बुराई पर जीत हासिल करना है. एनएसए डोभाल ने जोर दिया कि इस माहौल को सुधारने की जिम्मेदारी हमारी है इसके लिए नीयत और इरादे की जरूरत है. हमारी यह लड़ाई आने वाली नस्लों को सुरक्षित बनाने के लिए है.

एनएसए डोभाल की मौजूदगी में अजमेर दरगाह के सज्जादानशींहजरत सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा, “जब कोई घटना होती है तो हम निंदा करते हैं.यह कुछ करने का समय है.कट्टरपंथी संगठनों पर लगाम लगाने और प्रतिबंधित करने की जरूरत है.चाहे वह कोई भी कट्टरपंथी संगठन हो, उनके खिलाफ सबूत होने पर उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए.”

इस सर्वधर्म सम्मेलन में विभिन्न धर्मों के 36 धार्मिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. धार्मिक सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के आउटरीच के हिस्से के रूप में आयोजित इस सम्मेलन में सूफी संतों ने भी भाग लिया.