दिल्ली में बुद्धिजीवी मुसलमानों का रविवार को जुटान, मौजूदा हालात पर होगा विचार

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 28-05-2022
दिल्ली में बुद्धिजीवी मुसलमानों का रविवार को जुटान, मौजूदा हालात पर होगा विचार
दिल्ली में बुद्धिजीवी मुसलमानों का रविवार को जुटान, मौजूदा हालात पर होगा विचार

 

सेराज अनवर / पटना

देश के मुसलमान बेचैन हैं और मौजूदा हालात को लेकर मंथन करने पर मजबूर हैं. इस सिलसिले में कल 29मई रविवार को दिल्ली में एक अहम बैठक बुलाई गई है. बिहार, यूपी समेत देश के विभिन्न हिस्सों से बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया गया है. इस बैठक में नौकरशाह से लेकर जज, पत्रकार, प्रोफेसर, डॉक्टर, समाजसेवी और अधिवक्ताओं का जुटान होगा.

यह बैठक इंडियन इंटेलेक्चुअल मुस्लिम काउंसिल के बैनर तले बुलायी गयी है. इसकी पहल पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने की है. खास बात यह है कि ऐवान गालिब, गालिब इंस्टिट्यूट में 9बजे सुबह से 5बजे शाम तक चलने वाली इस बैठक में किसी संगठन से जुड़े उलेमा को आमंत्रित नहीं किया गया है.

मालूम हो पिछले साल मुस्लिम बुद्धिजीवियों द्वारा बुलायी गयी जिरगा की तर्ज पर यह बैठक होने जा रही है, जिसमें एक प्रेशर ग्रूप बनाने की बात हो सकती है. आमंत्रित सदस्यों को बैठक का एजेंडा भेजा गया है, जिसमें मीटिंग के उद्देश्य के बारे में मुकम्मल जिक्र है.

सिर जोड़ कर बैठें और फैसला करें

दावतनामा में कहा गया है कि देश के जो हालात हैं और जिन हालात में मुसलमान बेबस और लाचार हैं. उन्हें कोई मंजिल नहीं दिखाई पड़ रही है.जानता हूं कि आप इस मुद्दे को लेकर कितने चिंतित हैं, इसका आपको अंदाजा है.

हम सभी ने बुद्धिजीवियों और विचारकों और अपने-अपने युग में महत्वपूर्ण कार्य करने वाले लोगों की बैठक बुलाने का फैसला किया है.सब एकसाथ बैठें और तय करें कि इस देश में आने वाली पीढ़ी कैसे रहेगी.

आप अच्छी तरह से जानते हैं कि जब नेहरू जी का निधन हुआ, उस वक्त मौलाना आजाद और रफी अहमद किदवई और ऐसे कई मुस्लिम नेता गुजर चुके थे. उस समय मौलाना कारी तैयब साहिब, मौलाना अली मियां, डॉ फरीदी, डॉ महमूद आदि ने एक प्लेटफार्म, मुस्लिम मजलिसे मशावरत का गठन किया था. उन्होंने एक प्रेशर ग्रूप  बनाया था, जो सरकार से बात कर सके अपनी कौम की रहनुमाई कर सके. आज यह सब खत्म हो गया है.

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मिल्ली तंजीमों ने मायूस किया

बैठक के मकसद को साफ करते हुए कहा गया है कि मिल्ली तंजीमों ने मिल्लत को बुरी तरह निराश किया है और जो राजनीतिक दल हैं, उनमें इस बात की होड़ में लग गयी हैं कि हिंदू पार्टी किसकी बड़ी है ?

ऐसे में क्या किया जाए? इस बैठक के रहनुमा मोहम्मद अदीब कहते हैं कि मैंने बहुत कोशिश की कि सब मुसलमान सिर जोड़ कर बैठें और एक प्लेटफार्म तैयार करें.

जो हिंदुस्तानी मुसलमानों के भविष्य की रणनीति बुने. इसी सिलसिले में यह बैठक बुलायी गयी है. इसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश, वकील, प्रोफेसर, पत्रकार, विद्वान सब शामिल हो रहे हैं.

इसमें उन्हीं उलेमा को बुलाया गया है, जिनका सम्बंध किसी खास संगठन से नहीं है. क्योंकि तंजीमों ने एक-दूसरे पर बढ़त बनाने के लिए, अपने अस्तित्व और अपनी संगठन को जीवित रखने के लिए मिल्लत की परवाह नहीं की. लेकिन कुछ उलेमा ऐसे भी हैं, जो किसी संगठन से जुड़े नहीं हैं, लेकिन मुल्क व मिल्लत के हालात को लेकर  चिंतित हैं.

इन सभी लोगों को बुलाया गया है. जरूरत इस बात की है कि देश के बुद्धिजीवी एक साथ आएं और भविष्य का नक्शा तैयार करें. एक मंच स्थापित किया जाए, जिसमें वे सभी लोग हों, जिन्होंने अपने जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में कुछ काम किया हो, जिनके सीने में दर्द, अनुभव और साहस भी हो. यह मंच गैर-राजनीतिक हो. हमें पार्टियों की नहीं, बल्कि व्यक्तित्वों से राब्ता करना है. इन्हीं सब बातों पर चर्चा करने के लिए 29मई को दिल्ली में जमा हो रहे हैं.

जिरगा हो चुका है नाकाम

इस तरह की बैठकों का मुसलमानों को कड़ुआ अनुभव रहा है. पिछले साल मार्च में मुस्लिम समाज की नामचीन हस्तियों ने राजधानी दिल्ली में ही एक जिरगा का आयोजन कर कौम को एकजुट करने का प्रयास किया था.

बैठक में एक कमेटी के गठन का भी ऐलान किया गया था, जिसका नेतृत्व पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैषी को सौंपने पर राय बनी थी. लेकिन उन्होंने जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया था.

मालूम हो कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तत्कालीन महासचिव और इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरीयत मौलाना मोहम्मद वली रहमानी की पहल पर इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में मुसलमानों का जिरगा बुलाया गया था, जिसमें महमूद प्राचा से लेकर डॉ जफरुल इस्लाम, मौलाना खलील उर रहमान सज्जाद नोमानी, मौलाना कल्बे जव्वाद, मौलाना मुफ्ती मुकर्रम आदि हस्तियां शामिल हुई थीं.

एक महीने बाद ही मौलाना वली रहमानी का इंतकाल हो गया. जिरगा का अब कहीं अता-पता नहीं है. पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब कहते हैं कि ‘‘अगर मुसलमान निष्क्रिय रहे, तो उनकी हालत जल्द ही म्यांमार के मुसलमानों की तरह हो जाएगी.’’

मोहम्मद अदीब ने मुसलमानों से ईद की नमाज के मौके पर शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराने के लिए काली पट्टी बांधने का आह्वान किया था, जो बुरी तरह नाकाम रही.

मगर बैठक को लेकर लोगों में उम्मीदें हैं. बिहार से इस बैठक में आमंत्रित अशफाक रहमान कहते हैं कि बैठने में क्या हर्ज है.यह मसला तो सबका है, देश का है. अशफाक रहमान बिहार की नामचीन मुस्लिम शख्सियतों में शुमार हैं.