- दोनों तंजीमों को करीब लाने के लिए कमेटी का गठन हुआ
नौशाद उस्मानी / देवबंद
इस्लामी तालीम के सबसे बड़े मरकज दारुल उलूम की सुप्रीम पावर मजलिस-ए-शूरा की अंतिम और पांचवें चरण की बैठक में दारुल उलूम और वक्फ दारुल उलूम के बीच पिछले 40 वर्षों से जमी बर्फ उस समय पिघलती दिखी, जब बैठक में दारुल उलूम वक्फ के मोहतमिम मौलाना सुफियान कासमी और नायब मोहमतिम मौलाना शकेब कासमी ने मेहमान सदस्य के रुप में आने की दावत को कबूल कर बैठक में शिरकत की. इस दौरान शूरा के सदस्यों ने उनका खुले दिल से स्वागत किया.
बैठक में दोनों संस्थाओं को करीब लाने के लिए छह सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया गया.
कमेटी में दारुल उलूम के सदर मुदरर्सि एवं जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, दारुल उलूम मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी, शूरा सदस्य मौलाना अनवारुल हक एवं वक्फ दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना सुफियान कासमी, नायब मोहतमिम मौलाना शकेब कासमी और मौलाना अहमद खिजर शाह मसूदी को शामिल किया गया.
इस कमेटी का कार्य दोनों संस्थाओं को करीब लाने और मुद्दों को सुलझाने में मदद करना है.
इसके साथ ही शूरा की बैठक में आगामी सत्र जून माह से आरंभ करने तथा नये दाखिले न लेने का निर्णय लिया गया. 24 मई तक छात्रों को संस्था में आने का ऐलान जारी किया गया.
बैठक में दारुल उलूम मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासमी, मौलाना अनवारुल हक बिजनौरी, मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी, मौलाना अब्दुल अलीम फारुकी, मौलाना अहमद खानपुरी, मौलाना अरशद मदनी सहित आदि सदस्य मौजूद रहे.