भारतीय मुस्लिमों की प्रजनन दर में भी आई भारी गिरावट

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 08-05-2022
भारतीय मुस्लिमों की प्रजनन दर में भी आई भारी गिरावट
भारतीय मुस्लिमों की प्रजनन दर में भी आई भारी गिरावट

 

नई दिल्ली. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के पांचवें दौर की रिपोर्ट से पता चला है कि मुसलमानों में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में 46.5 प्रतिशत की गिरावट आई है. यह 1992-92 में प्रति महिला 4.4 बच्चों से घटकर 2019-20 में 2.3 बच्चे हो गया.

एनएफएचएस के अब तक के पांच दौरों में, हिंदुओं में टीएफआर में 41.2 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि ईसाई और सिखों में टीएफआर में लगभग एक तिहाई की गिरावट देखी गई है. वर्तमान में, हिंदुओं में टीएफआर 1.94 है, जबकि ईसाइयों और सिखों में, दर क्रमशः 1.88 और 1.61 है.

भारत की कुल प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है, जो जनसंख्या नियंत्रण उपायों की महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है. भारत में केवल पांच राज्य हैं, जो 2.1 के प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर से ऊपर हैं. ये राज्य हैं बिहार (2.98), मेघालय (2.91), उत्तर प्रदेश (2.35), झारखंड (2.26) मणिपुर (2.17).

सर्वेक्षण के अनुसार, 25-49 वर्ष की आयु की महिलाओं में पहले जन्म के समय औसत आयु 21.2 वर्ष है. सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि 15-19 वर्ष की आयु की सात प्रतिशत महिलाओं ने प्रसव शुरू कर दिया है.

एनएफएचएस-5 ने यह भी उल्लेख किया है कि भारत में संस्थागत जन्म 79 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गया है. यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग 87 प्रतिशत जन्म संस्थानों में होता है और वही 94 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में होता है.

अरुणाचल प्रदेश में संस्थागत जन्म में अधिकतम 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई, इसके बाद असम, बिहार, मेघालय, छत्तीसगढ़, नागालैंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई. पिछले 5 वर्षों में 91 प्रतिशत से अधिक जिलों में 70 प्रतिशत से अधिक जन्म स्वास्थ्य सुविधाओं में हुए हैं.