अंजुम बानो को हाईकोर्ट ने दी एससी आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 08-07-2022
अंजुम बानो को हाईकोर्ट ने दी एससी आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति
अंजुम बानो को हाईकोर्ट ने दी एससी आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति

 

भोपाल / जबलपुर. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित एक सीट अनुसूचित जाति के परिवार में जन्म लेने वाली महिला के लिए आरक्षित कर दी है, जिसने बाद में एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी कर ली है. उसे सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी है. हालांकि, चुनाव का नतीजा इस मामले में अंतिम अदालत के आदेश के अधीन होगा.

याचिकाकर्ता अंजुम बानो ने कहा कि पाना जिले की ग्राम पंचायत भाटिया में सरपंच का पद पंजीकृत जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. उन्होंने इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था, लेकिन उनका नामांकन इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि वह एक मुस्लिम से शादी करने के बाद अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है.

उन्होंने रिटर्निंग ऑफिसर के फैसले के खिलाफ एमपी हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन सिंगल जज बेंच ने याचिका खारिज कर दी. जब उसने एकल न्यायाधीश की पीठ के फैसले के खिलाफ अपील की, तो उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश की पीठ को आवेदन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया.

याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील संजय तारकर ने तर्क दिया कि एक व्यक्ति समाज के उस वर्ग का है, जहां उसका जन्म हुआ है, भले ही उसकी शादी अपने जीवन के अंतिम चरण में हो. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी जिक्र किया.

उन्होंने आगे तर्क दिया कि रिटर्निंग ऑफिसर को उनकी जाति और अधिकतम संदेह के आधार पर उनके नामांकन को अस्वीकार करने का कोई अधिकार नहीं था. वह उसे अपनी जाति के बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए कह सकता था.

दोनों पक्षों की दलीलों के बाद, न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी की पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में याचिकाकर्ता को रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष एक हलफनामा देकर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की अनुमति दी. अदालत ने कहा कि चुनाव का परिणाम आवेदन पर अंतिम आदेश के अधीन होगा.