दिल्ली के इतिहास में पहली बार क्यों नहीं चली लू?

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 04-06-2021
दिल्ली शहर के इतिहास में पहली बार क्यों नहीं चली लू?
दिल्ली शहर के इतिहास में पहली बार क्यों नहीं चली लू?

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली  

दिल्ली-एनसीआर में इस साल लू नहीं चली. भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) के मुताबिक, 1 मार्च से लेकर 3 जून तक दिल्ली-एनसीआर में हीट वेव (लू) की स्थिति नहीं देखी गई है. जबकि, अगले हफ्ते के आखिरी दिनों में होने वाली बारिश की संभावनाओं के मद्देनजर अब ऐसा लगता भी नहीं है कि आने वाले दिनों में ऐसी कोई सूखी गर्मी पड़ सकती है.

जानकारों के मुताबिक, दिल्ली के मौसमी इतिहास में ऐसा होना बेहद दुर्लभ रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, दो चक्रवातीय तूफानों और अप्रैल से लेकर जून तक एक के बाद एक आ रहे पश्चिमी विक्षोभों की वजह से लू की परिस्थितियां नहीं बन पाईं. और इसी वजह से इस बार दिल्ली-एनसीआर इलाके की गरमी अपेक्षया नरमाहट लिए रही.

1 मार्च से 3 जून के बीच, वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक भी हीटवेव वाले दिन दर्ज नहीं किए गए. और ऐसा करना एक दुर्लभ घटना है. आइएमडी के मुताबिक, दिल्ली के इतिहास में ऐसी पहली गरमी है, जब किसी दिन लू नहीं चली हो.

इधर, 2020 में 9 दिन हीट वाले दिन हुए थे जबकि 2019 में 6 दिन और 2018 में 3 दिन लू के घोषित किए गए थे.

लू या हीट वेव क्या है?

हीट वेव या लू बेहद गर्म मौसम का दौर है जो आमतौर पर दो या उससे अधिक दिनों तक रहता है. जब किसी खास इलाके में तापमान क्षेत्र के आम औसत से अधिक हो जाता है तो उसे हीट वेव या लू कहते हैं.

भारत मौसम विभाग (आइएमडी) के मुताबिक, जब मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक और इलाके का दिन का तापमान सामान्य अधिकतम तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो तो इसे लू चलना कहते हैं. इसी तरह, पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू चलने लगती है. यदि तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक (या सामान्य अधिकतम तापमान से 6.5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो) पहुंच जाता है, तो इसे ‘खतरनाक लू’के वर्ग में रखा जाता है. तटीय क्षेत्रों में जब तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो हीट वेव चलने लगती है.

हीट वेव कैसे बनती है?

हीट वेव आमतौर पर रुकी हुई हवा की वजह से होती है. उच्च दबाव प्रणाली हवा को नीचे की ओर ले जाती है. यह शक्ति जमीन के पास हवा को बढ़ने से रोकती है. नीचे बहती हुई हवा एक टोपी की तरह काम करती है और यह गर्म हवा को एक जगह पर जमा कर लेती है. हवा के चले बिना, बारिश नहीं हो सकती है, गर्म हवा को और गर्म होने से रोकने के लिए कोई उपाय नहीं होता है.