नई दिल्ली. केंद्र द्वारा गुरुवार को संशोधित प्रस्ताव सौंपे जाने के बाद किसान संगठनों ने अपना साल भर से चल रहा आंदोलन ‘स्थगित’ कर दिया है. इसकी घोषणा गुरुवार को सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने की.
किसानों ने कहा है कि वे शनिवार को दिल्ली की सीमाएं खाली करेंगे और 15 जनवरी को बैठक करेंगे.
कानून को रद्द करने के बाद, केंद्र सरकार एक प्रस्ताव लेकर आई थी, जिसे किसानों ने स्वीकार कर लिया था. उनकी मांग के आधार पर, केंद्र ने लिखित रूप में भी ऐसा ही किया.
इस बीच सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने टेंट हटाने शुरू कर दिए हैं. उन्हें मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हुए भी देखा गया है, जो दर्शाता है कि आंदोलन का अंत बहुत दूर नहीं है.
इस बीच सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने टेंट हटाने शुरू कर दिए हैं. उन्हें मिठाइयों का आदान-प्रदान करते भी देखा गया है.
किसान नेता बलबीर राजेवाल ने कहा कि हमने इसे स्थगित किया है. 15जनवरी को फिर संयुक्त किसान मोर्चा की फिर मीटिंग होगी, जिसमें आंदोलन की समीक्षा करेंगे. सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए हैं. इसके अलावा वापसी की तैयारी भी शुरू कर दी गई है.
आंदोलन की अगुआई करने वाले पंजाब के 32 किसान संगठनों ने अपना कार्यक्रम भी बना लिया है, जिसमें 11दिसंबर को दिल्ली से पंजाब के लिए फतेह मार्च होगा. सिंघु और टिकरी बॉर्डर से किसान एक साथ पंजाब के लिए वापस रवाना होंगे. 13 दिसंबर को पंजाब के 32 संगठनों के नेता अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब में मत्था टेकेंगे. उसके बाद 15दिसंबर को पंजाब में करीब 113जगहों पर लगे मोर्चे खत्म कर दिए जाएंगे. हरियाणा के 28 किसान संगठन भी अलग से रणनीति बना चुके हैं.
केंद्र सरकार ने इस बार सीधे संयुक्त किसान मोर्चा की 5 मेंबरी हाईपावर कमेटी से मीटिंग की. हाईपावर कमेटी के मेंबर बलबीर राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, अशोक धावले, युद्धवीर सिंह और शिवकुमार कक्का नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया किसान सभा के ऑफिस पहुंचे, जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के अफसर भी जुड़े. सबसे बड़ा पेंच केस पर फंसा था, जिसे वापस लेने पर केंद्र राजी हो गया.