दिल्ली दंगाः मुख्य साजिशकर्ता बताने पर शरजील इमाम पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 07-12-2022
दिल्ली दंगाः मुख्य साजिशकर्ता बताने पर शरजील इमाम पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली दंगाः मुख्य साजिशकर्ता बताने पर शरजील इमाम पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

 

नई दिल्ली. शरजील इमाम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर दिल्ली दंगों के मामले में उमर खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने का निर्देश देने की मांग की है. इमाम ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने उमर खालिद की जमानत याचिका को खारिज करते हुए उसके खिलाफ कुछ टिप्पणियां और टिप्पणियां कीं, जबकि वह उक्त याचिका में पक्षकार भी नहीं था.

18 अक्टूबर को, जेएनयू के छात्र खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा था कि खालिद लगातार शारजील इमाम के संपर्क में था, जो यकीनन ‘षड्यंत्र के प्रमुख’ थे और इमाम को उनमें से एक पैराग्राफ में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में भी संदर्भित किया गया था.

52 पन्नों के फैसले में, उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस द्वारा इमाम को ‘मुख्य साजिशकर्ता’ के रूप में संदर्भित आरोप पत्र पर ध्यान दिया और आगे यह भी कहा कि इमाम जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक व्हाट्सएप समूह का मुख्य सदस्य था. 4 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के एक या दो दिन बाद बना.

उच्च न्यायालय ने फैसले के एक पैराग्राफ में कहा था, ‘‘पक्षों के वकील को सुना और चार्जशीट को ध्यान से देखा और इस तथ्य को ध्यान में रखा कि अपीलकर्ता (खालिद) अन्य सह-अभियुक्तों के लगातार संपर्क में था. शरजील इमाम सहित, जो यकीनन साजिश के प्रमुख हैंय इस स्तर पर, यह राय बनाना मुश्किल है कि यह मानने का कोई उचित आधार नहीं है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया साबित नहीं हुआ है.’’

इमाम चाहते हैं कि उन टिप्पणियों को समाप्त किया जाए जहां उन्हें ‘मुख्य साजिशकर्ता’ कहा गया है और जहां अदालत ने कहा कि खालिद शारजील इमाम सहित अन्य सह-आरोपियों के लगातार संपर्क में थे, जो यकीनन साजिश के प्रमुख हैं.

शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी अपील में, इमाम ने कहा कि उस पर कुछ टिप्पणियां और टिप्पणियां उच्च न्यायालय द्वारा की गई थीं, जहां वह उक्त याचिका में पक्षकार नहीं थे और यह शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून और कैटेना की पूर्ण अवहेलना थी. कानून के समान सिद्धांतों को दोहराते हुए अन्य निर्णयों की.

अपील में कहा गया है, ‘‘आक्षेपित आदेश में टिप्पणियों और टिप्पणियों को याचिकाकर्ता (इमाम) को स्पष्टीकरण देने या खुद का बचाव करने का अवसर दिए बिना बनाया गया है और यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन है.’’

इसमें कहा गया है, ‘‘किसी भी घटना में, पूर्वगामी के पूर्वाग्रह के बिना, याचिकाकर्ता के खिलाफ की गई टिप्पणियों / टिप्पणियों को सही ठहराने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है. विशेष रूप से, कोई भी आपत्तिजनक टिप्पणी और टिप्पणी रिकॉर्ड से बाहर नहीं हुई है. बल्कि, वे पूर्व-दृष्टया विरोधाभासी हैं और यहां तक कि चार्जशीट में निहित आरोपों से भी आगे जाते हैं.’’

इमाम ने 18 अक्टूबर के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की, जिसमें आदेश पर अंतरिम एकतरफा रोक लगाने की मांग की गई. उन्होंने आगे निर्देश मांगा कि उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित उनकी अपील को विवादित टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना सुना जाए.