सीपीआई(एम) ने श्रम संहिताओं की तत्काल वापसी की मांग की

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 22-11-2025
CPI(M) demands immediate withdrawal of labour codes
CPI(M) demands immediate withdrawal of labour codes

 

नई दिल्ली

सीपीआई(एम) की पोलित ब्यूरो ने शनिवार को केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा चारों श्रम संहिताओं (Labour Codes) की एकतरफा अधिसूचना का कड़ा विरोध किया है।

पार्टी ने अपने बयान में कहा कि ये श्रम संहिताएँ 29 लंबे संघर्षों से हासिल हुए श्रम कानूनों को खत्म कर देती हैं, जिनसे अब तक मजदूरों को वेतन, काम के घंटे, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा, निरीक्षण–अनुपालन प्रणाली और सामूहिक सौदेबाज़ी जैसे क्षेत्रों में कुछ हद तक सुरक्षा मिलती रही है।

सीपीआई(एम) ने कहा, “सरलीकरण के नाम पर नए कोड मौजूदा अधिकारों और हक़ों को कमजोर और समाप्त करते हैं तथा संतुलन को पूरी तरह नियोक्ताओं के पक्ष में झुका देते हैं।”

पार्टी ने यह भी कहा कि सरकार का यह दावा कि श्रम संहिताएँ रोजगार और निवेश बढ़ाएँगी, “पूरी तरह निराधार” है। उनके अनुसार ये कोड पूँजी के हित में मजदूरों को असुरक्षित छोड़ने के लिए बनाए गए हैं और राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय पूँजी को आकर्षित करने के लिए सार्थक श्रम विनियमों को निष्प्रभावी कर देते हैं। साथ ही ये हड़ताल के अधिकार को छीनते हैं और किसी भी सामूहिक कार्रवाई को अपराध की श्रेणी में डालते हैं।

सीपीआई(एम) ने आरोप लगाया कि श्रम संहिताएँ “जंगल राज” स्थापित करने की कोशिश हैं, जिनसे कॉर्पोरेट वर्ग को मजदूरों के अधिकारों और हक़ों को रौंदने की खुली छूट मिल जाएगी, और यह सब सरकार व प्रशासन के सक्रिय समर्थन से हो रहा है।

पोलित ब्यूरो ने श्रम संहिताओं को बिना वास्तविक त्रिपक्षीय चर्चा के आगे बढ़ाने और लोकतांत्रिक व संघीय मानकों का “घोर उल्लंघन” करने के लिए भी सरकार की निंदा की। बयान में कहा गया कि सरकार ने पूरे प्रक्रिया में ट्रेड यूनियनों को दरकिनार किया और संसद में बिना बहस के hastily कानून पारित कर दिए, जबकि तर्कों और दस्तावेज़ी साक्ष्यों के आधार पर उठाई गई आपत्तियों को अहंकारपूर्वक खारिज कर दिया गया।

सीपीआई(एम) ने श्रम संहिताओं की तत्काल वापसी की मांग की है और सभी ट्रेड यूनियनों व लोकतांत्रिक शक्तियों से अपील की है कि वे एकजुट संघर्ष छेड़कर सरकार की “सत्तावादी मंशा” का विरोध करें, मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करें और व्यापक श्रम अधिकारों व सुरक्षा के लिए आंदोलन को आगे बढ़ाएँ।