आवाज द वॉयस /नई दिल्ली
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अगर देश का बंटवारा नहीं होता और तीनों देश भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश साथ होते तो आज चीन की हिम्मत हमारी तफर आंख उठाकर देखने की नहीं होती.
अरशद मदनी ने कहा कि स्थिति यह है कि चीन भारत के अंदर घुसपैठ कर रहा है. और सरकारें कुछ खास नहीं कर पा रही हैं.उन्हांने कहा कि देश की आजादी के लिए सबसे अधिक बलिदान देने वाले लोग देशद्रोही कैसे हो सकते हैं.
अरशद मदनी ने कहा,“भारत का स्वतंत्रता आंदोलन उलेमा और मुसलमानों द्वारा शुरू किया गया था. भारत में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का पहला झंडा उलेमा ने फहराया था.जिन लोगों ने पहले आजादी का नारा दिया, आज वही लोग देशद्रोही कहलाते हैं.
आज पूरे देश में मुसलमानों को इसी तरह चित्रित किया जा रहा है, जिस व्यक्ति के बड़ों ने स्वतंत्रता दी है, वह देशद्रोही कैसे हो सकता है.अरशद मदनी ने कहा, हिंदू और मुस्लिम समुदायों के हमारे बुजुर्ग एकता के पथ पर आगे बढ़े और देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराया, लेकिन दुर्भाग्य से विभाजन भी हुआ.
यह विभाजन न केवल एक विशेष समुदाय के लिए, बल्कि हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के लिए विनाश और बर्बादी का कारण बन गया है.चीन के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा, अगर बंटवारा नहीं होता और ये तीनों देश (भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश) साथ होते तो आज यह स्थिति नहीं होती कि चीन भारत के अंदर घुसपैठ कर रहा है. और सरकार इस पर खामोश है.