मेवात के स्कूलों में उर्दू शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण रोजगार से नहीं जुड़ पा रहे बच्चे: मौलाना मोहम्मद सद्दीक

Story by  यूनुस अल्वी | Published by  [email protected] | Date 19-01-2022
मेवात के स्कूलों में उर्दू शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण रोजगार से नहीं जुड़ पा रहे बच्चे: मौलाना मोहम्मद सद्दीक
मेवात के स्कूलों में उर्दू शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण रोजगार से नहीं जुड़ पा रहे बच्चे: मौलाना मोहम्मद सद्दीक

 

यूनुस अल्वी / नूंह (  हरियाणा )
 
मेवात क्षेत्र में उर्दू की शिक्षा का स्तर कमजोर है. बच्चे ऊर्दू नहीं पढ़ पा रहे है . इस्लामिक पाठशालाओं में बच्चे ज्यादातर उर्दू की शिक्षा ग्रहण करते हैं. मगर वो दसवीं व बारहवीं नहीं कर पाते जिससे उन्हें आगे की पढ़ाई जारी रखने में परेशानी आती है. इसकी वजह से वे रोजगार से नहीं जुड़ पा रहे हें. इस पर अमल करने की सख्त जरूरत है.

यह कहना है तंजीम फरोग ए उर्दू मेवात के नवनियुक्त अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद सद्दीक का. गत दिनों उन्हें एक बैठक में यह जिम्मेदारी सौंपी गई, जबकि तंजीम का सरपरस्त अशरफ मेवाती व डॉ मोहम्मद जुनैद को बनाया गया है. तंजीम के गठन का उद्देश्य मेव मुस्लिम बहुत इलाके में उर्दू को विस्तार देना. 
 
तंजीम फारोग- ए -उर्दू के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद सद्दीक ने इस दौरान बताया के मेवात में उर्दू के साथ हिंदी व अंग्रेजी भाषा को भी बढ़ावा देने की जरूरत है, ताकि क्षेत्र में शिक्षा के स्तर में सुधार संभव हो सके.
 
उन्होंने कहा कि मेवात क्षेत्र में उर्दू की शिक्षा का स्तर कमजोर हो रहा है. इससे बच्चों पर ऊर्दू परवान नहीं चढ़ पा रही है, जब कि इस्लामिक पाठशालाओं में बच्चे ज्यादातर उर्दू की शिक्षा ग्रहण करते हैं.
 
मगर वो दसवीं व बारहवीं नहीं करते जिसके चलते वो अपनी पढ़ाई आगे जारी नही रख पाते. इस्लामिक पाठशालाओं में उर्दू की पढ़ाई तो करते हंै मगर दसवीं व बारहवीं ना करने की वजह से रोजगार से नहीं जुड़ पाते. इस पर अमल करने की सख्त जरूरत है.
 
उर्दू को भी रोजगार से जोड़ना चाहिए. मेवात क्षेत्र के लोग अपने बच्चों को उर्दू की शिक्षा देना अनिवार्य समझते हैं. यदि उर्दू भाषा को मेवात क्षेत्र में दूसरी भाषा का दर्जा दिया जाए तो नूंह (मेवात) जिले की साक्षरता दर में इजाफा होगा.
 
इससे मेवात के नूंह जिले के पिछड़ेपन को कुछ हद तक खत्म किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कि मेवात मुस्लिम मेव बाहुल्य क्षेत्र है, जिसमें ज्यादातर लोग उर्दू बोलते हैं.
 
यहां तक कि मेवात का अनपढ़ भी उर्दू भाषा बोलना पसंद करता है. जो उनकी दिनचर्या में शामिल है. मोहम्मद सद्दीक ने बताया के उन्हें जो तंजीम फरोग- ए- उर्दू- की जिम्मेदारी दी गई है वह उन्हें पूरी लगन व ईमानदारी निभाएंगे.
 
तंजीम के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर जुनैद ने बताया के हमेशा तंजीम के साथ मिल कर काम करते रहेंगे. जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी ईमानदारी व निष्ठा से पूरा करेंगे. कोई भी साथी अपने आप को अकेला ना समझे. तंजीम परिवार है जिसका हर सदस्य खास है. सभी को एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है.
 
 शुशीला ने बताया के उर्दू एक साहित्य पर आधारित भाषा है जिसे कोई भी पढ़ सकता है. यह किसी एक धर्म या जाति की भाषा नहीं है. हिंदुस्तान की अपनी भाषा है जिसे कोई भी सीख या बोल सकता है.
 
यह एक तहजीब की भाषा है. समाज को करीब करने का काम करती है. इसलिए उर्दू के फरोग के लिए हम सभी को काम करना चाहिए. मेवात क्षेत्र के बच्चे उर्दू बोल या पढ़ सकें. मां बाप का फर्ज बनता है कि अपने बच्चों को उर्दू पढ़ाएं. कुछ लोगों का मानना है कि उर्दू मुस्लिमों की जुबान है, जबकि यह गलत है.
 
उर्दू एक भाषा है जिसे कोई भी पढ़ या सीख सकता है. मैं हिंदू परिवार से हूं और उर्दू पढ़ती हूं, क्योंकि मैं जानती हूं कि उर्दू एक जुबान है. इसे मोहब्बत की जुबान भी कहते हैं. ये किसी एक धर्म या जाति कि जुबान नहीं है.
 
इसे बचाना हम सबका फर्ज है. यह मुंशी प्रेमचंद, रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी, बृज नारायण चकबस्त की जुबान है, ना कि किसी मजहब या जाति की. अक्सर स्कूलों में बच्चे उर्दू पढ़ते हंै पर एमआईएस पर उर्दू नहीं होती.
 
जिसकी वजह से स्कूलों में उर्दू अध्यापक भर्ती नहीं होते. इसलिए आज से ही अपने बच्चों का एमआईएस पर उर्दू दिलवाएं, ताकि बच्चें उर्दू भी पढ़ें और बीच में ही अपनी पढ़ाई ना छोड़ं.
 
उन्हें रोजगार भी मिले.उर्दू के साथ आप दूसरी भाषा भी पढ़ें.बहुत से स्कूलों में उर्दू या संस्कृत भाषा के अध्यापक नहीं है, लेकिन वहां संस्कृत भाषा दे रखी है. जबकि वो बच्चे उर्दू जानते हैं.
 
उनकी स्थानीय भाषा उर्दू है. फिर उर्दू क्यों नहीं दी जा रही ? जबकि स्थानीय भाषा के हिसाब से उर्दू होना चाहिए. इस पर गौर करने की जरूरत है. इसलिए अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा उर्दू पढ़ाएं. जो बच्चा उर्दू और संस्कृत दोनों पढ़ना चाहता है, उन्हें दोनों भाषा पढ़नी चाहिए.  
 
किसे मिली जिम्मेदारी
 
बता दें कि तंजीम फरोग-ए-उर्दू मेवात, हरियाणा के पदाधिकारियों का चयन किया गया जिसमें सर्वसम्मति से लेक्चरर  मौलाना मोहम्मद सद्दीक गुलालता को तंजीम का सदर चुना गया.
 
इसके अलावा 11 सीनियर साथियों को तंजीम का सरपरस्त चुना गया. इनमें डॉक्टर कमरुद्दीन जाकिर,मास्टर अशरफ मेवाती,मौलाना फखरुद्दीन इलियासी,अब्दुल नाफे, प्रिंसिपल,रहीमुद्दीन, प्रिन्सिपल,कमर अली, प्रिंसिपल, मोहम्मद अली प्रिंसिपल,मास्टर अकील ,डॉक्टर जुनैद , साबिक सदर, दिनेश कुमार प्रिंसिपल ,अख्तर हुसैन उल्लेखनीय हैं. इनके अलावा अलावा तंजीम के नायब सदर जाकिर सेहरावत आकेडा,यूसुफ कुरैशी,नासिर झंडा,राशिद निजामपुर व जनरल सेक्रेट्री की जिम्मेदारी हाफिज मोहम्मद इमरान जैताका को सौंपी गई.
 
इसके साथ खजांची नजमुद्दीन टपकन को बनाया गया. प्रिंट मीडिया की जिम्मेदारी खालिद घासेडा व मौलाना जफर इलियासी के साथ सोशल मीडिया की जिम्मेदारी फहद घासेडा व मोहम्मद आकिब को सौंपी गई. आने वाले दिनों में सभी ब्लॉकों के सदर, नायब सदर बनाए जाएंगे तथा इसके लिए एक कमेटी बनाई जाएगी.