जेएनयू वेबिनार में फिर राष्ट्र विरोधी हरकत, कार्यक्रम रद्द, पुलिस में शिकायत

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 30-10-2021
जेएनयू वेबिनार में फिर राष्ट्र विरोधी हरकत, कार्यक्रम रद्द, पुलिस में शिकायत
जेएनयू वेबिनार में फिर राष्ट्र विरोधी हरकत, कार्यक्रम रद्द, पुलिस में शिकायत

 

नई दिल्ली. दिल्ली के एक वकील ने शनिवार को जेएनयू के महिला विकास अध्ययन केंद्र और एक वेबिनार के आयोजकों के खिलाफ कथित तौर पर ‘भारतीय अधिकृत कश्मीर’ वाक्यांश का इस्तेमाल करने के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

एडवोकेट विनीत जिंदल ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना को दी अपनी शिकायत में कहा कि सेंटर द्वारा 29अक्टूबर को रात 8.30बजे ‘जेंडर रेजिस्टेंस एंड फ्रेश चौलेंजेज इन पोस्ट 2019कश्मीर’ शीर्षक वाला वेबिनार आयोजित किया जाना था और विवरण जेएनयू की वेबसाइट पर भी उपलब्ध थे.

शिकायत के अनुसार, ‘सेमीनार के निमंत्रण के विषय में ‘भारतीय अधिकृत कश्मीर’ में जेंडर प्रतिरोध का उल्लेख किया गया था. इस वाक्यांश का उल्लेख करते हुए, वेबिनार के आयोजकों ने भारत सरकार द्वारा कश्मीर पर जबरदस्ती कब्जे का चित्रण किया है और इस वाक्यांश ने देश की अखंडता और एकत पर सवाल उठाया है.’

जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है. 1947में कबाइली हमले के बाद कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने उसका विलय भारत गणराज्य में कर दिया था. गिलगित-बाल्टिस्तान का जो कुछ इलाका पाकिस्तान के कब्जे में रह गया, उसे पाक अधिकृत कश्मीर कहा जाता है. इस लिए ‘भारतीय अधिकृत कश्मीर’ कहना एक साजिश और राष्ट्रविरोधी कृत्य है.

शिकायत में आगे कहा गया है कि ‘कश्मीर पर भारतीय कब्जा’ वाक्यांश को स्पष्ट रूप से भारत सरकार द्वारा कश्मीर पर जबरदस्ती कब्जा दर्शाता है, जो निश्चित रूप से सच नहीं है.

जेएनयू के खिलाफ आईपीसी की धारा 121ए, 124ए, 505और आईटी एक्ट 2008के 74के तहत दायर शिकायत में याचिका में प्रस्तावित ऑनलाइन सेमीनार का स्क्रीनशॉट भी संलग्न किया गया है.

शिकायत के अनुसार, ‘यह वाक्यांश आयोजकों के इरादे को भी इंगित करता है कि इस वेबिनार के बहाने इसका उद्देश्य इस विचार को प्रचारित करने, भारत सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने और उकसाने के लिए किया गया था.’

कुछ लोगों के विरोध के बाद वेबिनार को रद्द कर दिया गया था, क्योंकि वेबिनार का विषय संदिग्ध और आपत्तिजनक पाया गया था, जो स्पष्ट रूप से साबित करता है कि आयोजकों के देश की अखंडता या किसी अन्य छिपे हुए एजेंडे के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण इरादे थे.

बयान के अनुसार, ‘कश्मीर भारत के किसी भी अन्य राज्य की तरह भारत का एक एकीकृत हिस्सा है, इसलिए इसे कब्जे वाले राज्य के रूप में बुलाना या सार्वजनिक रूप से लोकप्रिय बनाना एक राष्ट्र-विरोधी कार्य है, जो न केवल आम आदमी को उकसाता है, बल्कि जनता के बीच सांप्रदायिक वैमनस्य को भी भड़काता है. वेबिनार के आयोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके सख्ती से निपटा जाना चाहिए.’