एक क्लीनिक ऐसा भी जहां सिर्फ 10 रुपये में होता है इलाज

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 20-01-2021
डॉ. नूरी परवीन
डॉ. नूरी परवीन

 

 

वाजिदुल्लाह खान / हैदराबाद

आजकल डॉक्टरों द्वारा इलाज के लिए ज्यादा से ज्यादा फीस वसूलने की शिकायतें आम हैं. ऐसे में आंध्रप्रदेश के कडप्पा जिले की डॉ. नूरी परवीन दया की देवी के रूप में सामने आई हैं. डॉ. नूरी ने गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर समूहों की सेवा कर एक मिसाल पेश की हैं. अपने क्लीनिक में मात्र दस रुपये फीस पर वे मरीजों का इलाज कर रही है.

एक निजी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाली डॉ. नूरी परवीन का यह प्रयास अब काफी लोकप्रिय हो चुका है. विजयवाड़ा में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मीं डॉ. नूरी ने मेरिट आधारित प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से अपनी मेडिकल की सीट प्राप्त की थी.अपने क्लीनिक के बारे मेंवह बताती हैं, ‘मैंने कडप्पा में एक गरीब झुग्गी में अपना क्लीनिक खोला है, जो रोगी उपचार का खर्च नहीं उठा सकते हैं उनके मर्ज का इस क्लीनिक में निदान होता है. क्लीनिक सिर्फ मानवता की सेवा करने की भावना से शुरू किया है.मरीजों से 100-200रुपये वसूलने के बदले वह केवल 10रुपये ले रही हैं. वह बताती हैं कि वह अपनी खुद की फार्मेसी स्थापित करने की योजना भी बना रही हैं, जहां वह कम लागत वाली दवाओं को देने की भी कोशिश करेंगी.

रेड्डी और पाशा से मिली प्रेरणा

जब उनसे पूछा गया कि उन्हें यह अनोखा कदम उठाने के लिए किसने प्रेरित किया, तो उन्होंने कहा कि इससे पहले डॉ. वाईएस राज शेखर रेड्डी (आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री) ने एक रुपये फीस लेने की शुरुआत की थी. बाद में डॉ. खलील पाशा (पूर्व अल्पसंख्यक मामंलों के मंत्री, आंध्रप्रदेश) ने 2रुपये फीस लेकर इसे आगे बढ़ाया. इससे उत्साहित होकरही उन्होंने गरीबों के इलाज के लिए 10रुपये का शुल्क निर्धारित किया. संयोग से उन दोनों नेताओं का ताल्लुक भी कडप्पा जिले से था.

एनजीओ चलाते हैं पिता

क्लीनिक स्थापित करने के लिए माता-पिता की सहमति के सवाल के जवाब में डॉ. नूरी ने कहा, इस बारे में मेरे माता-पिता को बाद में जानकारी हुई, लेकिन पता चलने के बाद उन्होंने न सिर्फ इसकी प्रशंसा की, बल्कि क्लीनिक खुलने पर खुशी भी जताई. उन्होंने कहा कि मेरे पिता एक एनजीओ चलाते हैं. वे हमेशा लोगों की भलाई के बारे में सोचते हैं और उनकी देखभाल करने की बात करते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने यह कदम उठाया है.

नहीं कराती है अनावश्यक टेस्ट

डॉ. नूरी बताती हैं कि कॉरपोरेट अस्पताल स्कैन और विभिन्न प्रकार के अनावश्यक टेस्ट कराते हैं, लेकिन वो अपने रोगियों को अनावश्यक टेस्ट के लिए नहीं कहतीं, बल्कि केवल आवश्यक टेस्ट ही कराती हैं और सामाजिक रूप से कम आय वाले लोगों का उचित मार्गदर्शन भी करती हैं. क्लीनिक में रोजाना लगभग 50रोगियों का निदान किया जाता है और उनके क्लीनिक का समय 24घंटे होता है. उनकी अनुपस्थिति मेंजूनियर डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं.

22 हजार प्रतिमाह है क्लीनिक का किराया

10रुपये के शुल्क वाले इस क्लीनिक का किराया 22,000रुपये प्रति माह है. किराये के साथ डॉक्टर साहिबा क्लीनिक में काम करने वाले तीन स्टाफ सदस्यों के वेतन का भी भुगतान करती हैं. डॉ. नूरी इस क्लीनिक के सभी खर्चों को उनके द्वारा लिखी गई दवाओं पर होने वाले 20प्रतिशत लाभ के साथ कवर करती हैं और 20प्रतिशत लाभ उसे मेडिकल हॉल से मिलता है. अमीर मरीज के लिए भी उनके क्लीनिक के दरवाजे खुले हैं. उनसे भी केवल दस रुपये शुल्क लिया जाता है.

गरीबों के इलाज से मिलती है संतुष्टि

इलाज के बाद ठीक होने वाले मरीजों से वह क्या उम्मीद करती हैं सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, जब लोग प्रार्थना करते हैं, तो बहुत खुशी होती है. वे सिर्फ यही चाहती हैं कि मरीज उनके लिए प्रार्थना करें. उनके इस कदम की सभी प्रशंसा कर रहे हैं. कई सामाजिक संगठनों ने उनके इस कदम को सराहा है. वे कहती हैं कि मानवता की सेवा की भावना ने उन्हें गरीबों के करीब पहुंचने का मौका दिया है. 10 रुपये वाले क्लीनिक को खोलने से पहले उन्होंने समाज सेवा के कई कार्यक्रम भी संचालित किए. उन्होंने नूर चैरिटेबल ट्रस्ट की शुरुआत अपने दादा की याद में की, जो कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे.डॉ. नूरी कहती हैं - वह अपने जीवन को एक मिशन बनाना चाहती हैं. ‘मेरे क्लीनिक में आने वाले अधिकांश रोगी कुपोषित और कमजोर होते हैं और मुझे उनका इलाज करके बड़ी संतुष्टि हासिल होती है.’

भविष्य की योजनाएं

डॉ. नूरी ने कहा, उनकी भविष्य की योजना मनोविज्ञान में पीजी करने और एक मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल स्थापित करने की है, जिसमें सभी प्रकार के न्यूरो, आर्थो, कार्डियो और अन्य विभाग स्थापित किए जाएंगे. साथ ही 10 रुपये की फीस में ही उपचार किया जाएगा. उनका एक लक्ष्य इस अस्पताल में वंचित लोगों के इलाज पर विशेष ध्यान देना है. साथ ही, उन्होंने जगह-जगह ऐसे ही क्लीनिक बनाए जाने पर जोर दिया, जिससे कम से कम फीस देकर लोग अपना इलाज कर सके. उन्होंने कहा कुछ लोगों के लिए सरकारी अस्पताल भी काफी दूर होते हैं.