भारत ने दिखाई सख्ती, तो ब्रिटेन ने कोविशील्ड को दी मान्यता

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 22-09-2021
कोविशील्ड
कोविशील्ड

 

नई दिल्ली. भारतीयों के पूरी तरह से टीकाकरण के बावजूद 10दिनों के क्वारंटीन को लेकर हुई चौतरफा आलोचना के बाद, यूके की नई सलाह में एसआईआई के कोविशील्ड को एक स्वीकृत वैक्सीन के रूप में शामिल किया गया है. 4 अक्टूबर को सुबह 4 बजे से लागू होने वाली नई ट्रैवल गाइडलाइंस में कहा गया है, “चार सूचीबद्ध टीकों के फॉर्मूलेशन - एस्ट्राजेनेका कोविशील्ड, एस्ट्राजेनेका वैक्सजेवरिया और मॉडर्ना टाकेडा को अप्रूवल दिया गया है.”

इसमें आगे कहा गया है, “इंग्लैंड पहुंचने से कम से कम 14 दिन पहले आपके पास एक स्वीकृत टीके का पूरा कोर्स होना चाहिए.”

हालांकि इसको लेकर नई ट्रैवल गाइडलाइंस जारी की गई है कि 4 अक्टूबर तक मिश्रित टीकों की अनुमति केवल तभी दी जाती है, जब आपको यूके, यूरोप, यूएसए या यूके के विदेशी टीकाकरण कार्यक्रम के तहत टीका लगाया गया हो.

हालांकि, मंगलवार को यूके उच्चायोग के एक बयान के अनुसार, उसकी सरकार “वैक्सीन प्रमाणन की मान्यता का विस्तार करने के लिए भारत के साथ काम कर रही है.” उनका बयान भारत में टीकाकरण प्रमाणन पर संदेह को लेकर था.

ब्रिटिश उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने कहा, “ब्रिटेन जितनी जल्दी हो सके अंतर्राष्ट्रीय यात्रा को फिर से खोलने के लिए प्रतिबद्ध है और यह घोषणा लोगों को सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए सुरक्षित और टिकाऊ तरीके से फिर से अधिक स्वतंत्र रूप से यात्रा करने में सक्षम बनाने के लिए एक और कदम है. हम भारत सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि हम भारत में एक प्रासंगिक सार्वजनिक स्वास्थ्य निकाय द्वारा टीके लगाए गए लोगों के लिए टीके प्रमाणन की यूके मान्यता का विस्तार कैसे कर सकते हैं.”

हालांकि, इस अपडेटेड ट्रैवल एडवाइजरी को चारों तरफ कड़ी आलोचना के बाद जारी किया गया है. डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि सभी देशों को डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों का पालन करना चाहिए.

डब्ल्यूएचओ के मुख्य वैज्ञानिक ने कहा, “इस पर डब्ल्यूएचओ की स्थिति स्पष्ट है कि सभी देशों को ईयूएल टीकों को पहचानना चाहिए. सभी देशों को हमारी सिफारिशों का पालन करना चाहिए. वे बाध्यकारी नहीं हैं.”

सूत्रों का कहना है कि भारत ने कूटनीतिक ढंग से ब्रिटेन को सूचित कर दिया था कि अगर ब्रिटेन ने कोविशील्ड को मान्यता नहीं दी, तो वह जैसे को तैसा व्यवहार करेगा और ब्रिटेन की वैक्सीन को भी भारत में अमान्य कर दिया जाएगा. भारत के सख्त रुख के बाद ब्रिटेन लाइन पर आ गया और उसने कोविशील्ड को मान्यता दे दी.