रक्तदान दिवस खासः कोरोना थैलेसिमिया पीड़ित बच्चों एवं नौजवानों के लिए क्यों बना है आफत
शाहनवाज आलम / गुरुग्राम ( हरियाणा )
आज रक्तदान दिवस (14 जून) है. रक्तदान के महत्व से सभी वाकिफ हैं, लेकिन कोरोना काल में रक्तदाताओं की कमी से समाज का ऐसा तबका जूझ रहा है, जिसे रक्तदाताओं की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. वह है देश के थैलेसिमिया ग्रस्त बच्चे और नौजवान.
कोरोना काल में रक्तदान कैंपों के नहीं लगने और संक्रमण के डर की वजह से थैलेसिमिया ग्रस्त करीब डेढ़ लाख बच्चों का जीवन संकट में है. उनके पैरेंट्स अपने बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
राष्ट्रीय स्तर पर थैलेसिमिया मरीजों का कोई सटीक आंकड़ा नहीं है. इस वर्ष 9 फरवरी को राज्यसभा में राकेश सिन्हा द्वारा पूछे गए अतारांकित प्रश्न के जवाब में केंद्रीय राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अश्विनी चैबे ने कहा था कि राष्ट्रीय स्तर पर थैलेसिमिया ग्रसित मरजों का कोई डेटा नहीं है.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के मुताबिक देश में हर वर्ष 10 से 12 हजार बच्चे बीटा थैलेसिमिया के साथ पैदा होते हैं. करीब 65 हजार मरीज बीटा थेलेसिमिया के इस बीमारी का इलाज ले रहे हैं.
इसी तरह हरियाणा में थैलेसिमिया मरीज में करीब 500 मरीज हैं. थैलेसिमिया अगेंस्ट फाउंडेशन के प्रमुख रविंद्र डुडेजा कहते हंै, कोरोना काल में सबसे ज्यादा थैलेसिमिया ग्रसित बच्चों को दिक्कत हुई है. एक व्यस्क थैलेसिमिया ग्रसित को हर 15 दिन में दो यूनिट और 12 वर्ष से कम उग्र वाले मरीज को एक यूनिट रक्त की जरूरत होती है. अप्रैल और मई में सबसे ज्यादा रक्त की किल्लत हुई.
फ्रेश रक्त की किल्लत को देखते हुए इंडिया रेड क्रॉस सोसाइटी ने जिला हेडक्वार्टर पर रक्तदान की व्यवस्था करने का निर्देश दिए थे. इसके बाद हरियाणा में जिला स्तर पर कमेटी गठित कर पुराने वालंटियर के जरिए रक्त को इकट्ठा कर मरीजों को दिया गया. इसके अलावा वैक्सीन के बाद रक्तदान के विंडो पीरियड को भी घटाया गया ताकि मरीजों को रक्त मिल सके. इसके बावजूद लोगों को बहुत ज्यादा दिक्कत हुई.
पीजीआई रोहतक के शिशु रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ अलका यादव के मुताबिक, एक स्वस्थ्य व्यक्ति में लाल रक्त कोशिकाएं 120 दिन तक रहती हैं, जबकि थैलेसिमिया ग्रसित मरीजों में यह 15 से 20 दिन तक ही जीवित रहता है. इसकी वजह से थैलेसिमिया ग्रसित मरीजों को हर 15 दिन में फ्रेश प्लाजमा की जरूरत होती है.
हरियाणा विधानसभा की शिक्षा एवं स्वास्थ्य कमेटी की चेयरपर्सन सीमा त्रिखा का कहना है कि रक्त की कमी को लेकर उनके सामने भी कई मामले आए थे. इसको लेकर उन्होंने सभी गैर सरकारी संस्था, रेडक्रॉस सोसाइटी और जिला स्तर पर वॉलंटियर तैयार कर एक पूरी चेन तैयार करवाई थी.
पार्टी की ओर से भी कई रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया. जिन लोगों ने ट्वीट कर या सीधे तौर पर किसी तरह से संपर्क किया, उन्हें रक्त उपलब्ध कराया गया.