आवाज-द वॉयस / अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने पैर के अल्सर को विकसित करने वाली इंटरडिसिप्लिनरी बायोटेक्नोलॉजी यूनिट के प्रोफेसर असदुल्ला खान के नेतृत्व में डॉक्टरों ने पैर की पुरानी चोटों से पीड़ित मधुमेह रोगियों के लिए राहत की खबर दी है.
यह पेटेंट शोध जीवित मॉडलों पर सफल रहा है और नेचर पब्लिशिंग ग्रुप के मानक जर्नल, साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया गया है. मधुमेह के चूहों में पैर के अल्सर का सफलतापूर्वक इलाज करने के लिए इस तकनीक का उपयोग किया गया है.
प्रोफेसर असदुल्लाह खान ने कहा, ‘जैविक और भौतिक समानताओं ने हमें मनुष्यों पर इस्तेमाल होने से पहले पशु मॉडल में इस नए उपचार का परीक्षण करने के लिए प्रेरित किया.’
उन्होंने कहा कि हम मधुमेह के चूहों में पैर के अल्सर का सफलतापूर्वक इलाज करने में सक्षम थे, जिनका इलाज बहु-दवा प्रतिरोधी उपभेदों के कारण किसी अन्य तरीके से नहीं किया जा सकता था.
उन्होंने कहा कि नई तकनीक की मदद से 14 दिनों में पशु मॉडल का इलाज किया गया.
प्रोफेसर असद ने कहा, ‘हमारी टीम इस उपचार की प्रभावशीलता को साबित करने के लिए पिछले दो सालों से काम कर रही है.’
इस शोध का जल्द ही इंसानों पर परीक्षण किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा, ‘स्वतंत्र अध्ययनों से पता चलता है कि पूरी दुनिया में हर कुछ मिनटों में एक अंग काटा जाता है और यह तथ्य और भी परेशान करने वाला हो जाता है, जब यह पता चलता है कि ज्यादातर मामलों में अंग विच्छिन्न हो जाता है. मधुमेह एक पैर के अल्सर के कारण होता है. इसलिए, अंगों और जीवन को बचाने के लिए एक उपयुक्त उपचार खोजना बहुत महत्वपूर्ण है.’
प्रोफेसर असद को उम्मीद है कि यह नई तकनीक डायबिटिक फुट अल्सर के इलाज में काफी मददगार साबित होगी.