बातें बीते वक्त की ही-मैन, खिलौने से जन्मा वो करिश्माई राजकुमार

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 29-05-2021
बातें बीते वक्त की ही-मैन, खिलौने से जन्मा वो करिश्माई राजकुमार
बातें बीते वक्त की ही-मैन, खिलौने से जन्मा वो करिश्माई राजकुमार

 

विशाल ठाकुर
 
उस दिन टीवी के पास खड़े होकर दो मिनट ‘शिनचैन’ क्या देख लिया, मानो आफत सी आ गयी. टीवी पर कार्टून चल रहा हो और मजाल है कि एक पल के लिए भी कोई सामने आ जाए. बस, यही तो शहजादियों को बर्दाश्त नहीं है. दोनों लगीं सवाल दागने- ‘आपको कार्टून में कोई इंट्रस्ट है भी?’ जवाब देता कि दूसरा सवाल रॉकेट के माफिक हवा में तैरता हुआ सटाक से आया- ‘आपके टाइम में कार्टून होते थे क्या ?’ 
 
मेरी सवालिया निगाहें, बेचारगी का रूप धारण किए होम मिनिस्ट्री की तरफ गयीं. ऐसे मौकों पर उनका एक सदाबहार सा इजहार होता है। पलकें झपकाकर अंडरस्टैंडिंग जता देती हैं, बस. मन में आया बता दूं कि हमारे जमाने में कार्टून नहीं, ही-मैन होता था ही-मैन. और ये जो तुम जिसे डिश डिश चिल्लाते हो, हमने पांचवी क्लास में ही देख ली थी.
 
और ये बात-बात पर आपके जमाने, आपके जमाने क्या चीज होती है? हमारे जमाने में अली हैदर हुआ करता था. गूगल कर लो उसका गाना- पुरानी जींस, और गिटार... पता चल जाएगा कि असली पॉप किसे कहते हैं. 
 
पर लगा नहीं... ये भला कौन सा तरीका हुआ. बीते वक्त की यादें, खीजकर तो साझा नहीं की जा सकती. 
 
तकनीक का एक ये फायदा जरूर हुआ है कि कुछ बहुत पुराना जुबानी तौर पर बताने के साथ-साथ आप उसे टीवी पर भी साझा कर सकते हैं. अगर टीवी एंड्रॉयड है, साथ में गूगल और यू-ट्यूब भी है तो एकदम परफेक्ट. बच्चों की सूझबबूझ की बदौलत मौजूदा दौर की यह कमाल तकनीक, एक अत्यंत सुविधाजनक गैजेट के रूप में मेरे पास भी है.
 
इसलिए देरी ना करते हुए उस पर यू-ट्यूब खंगालकर ‘ही-मैनः एंड दि मास्टर्स ऑफ दि यूनिवर्स’ का एक रैंडम एपिसोड लगा दिया. बच्चों को संभलने का मौका मिलता, इससे पहले रिमोट मेरे कब्जे में आ गया था. मैंने इशारे में कहा- बस एक मिनट. 
 
मुझे पता था कि यूं अचानक से तीन दशक पुरानी कार्टून सिरीज उनके सामने लाने से पल्ले वैसे भी कुछ नहीं पड़ने वाला है. पर हां, दोनों परेशान नहीं हुईं. मैं कुछ कहता इससे पहले हाई कमान उन्हें उस कार्टून के बारे में बताने लगीं. ओह, मैं ये कैसे भूल गया था कि मेरा और उनका रेट्रो एक ही तो है.
 
36 इंच के एलईडी टीवी पर गर्जन करता ही-मैन और आकाश से गिरती बिजली से कनेक्ट होती उसकी करामाती तलवार. डरावना मायावी स्केलेटॉर और उसकी राक्षसी सेना. अच्छाई और बुराई के पलड़ों में झूलती वो साइंस फंतासी. एक पल में ऐसा लगा मानो कोई टाइम मशीन, 5 जी के युग से मुझे अतीत में ले आयी है, जहां घर की छत पर बेतरतीब ढंग से वो टीवी एंटीना आज भी झूल रहा है.
 
आज की डिश के मुकाबले काफी कमजोर और बेसहारा सा, जो हल्की सी आंधी में भी खुद को उखड़ने से रोक नहीं पाता था और गिरते-पड़ते पड़ोसी की छत पर पहुंच जाता था. 
fantacy

अपने दौर से कहीं आगे की विज्ञान-फंतासी 


अस्सी के दशक के शुरूआती साल, जब मनोरंजन के नाम पर दूरदर्शन का केवल एक चैनल हुआ करता था. कार्यक्रम बहुत सीमित थे. मसलन, हफ्ते में एक फिल्म, एक-दो बार चित्रहार वगैराह. टीवी पर बच्चों वालों विज्ञापन तो कई थे, पर उनके लिए हफ्ते में कार्टून केवल एक ही आता था और वो भी बस बीस मिनट के लिए.
 
इसलिए हमारे पास खुद को व्यस्त रखने के लिए बहुत सारे अन्य खेल और घर के काम हुआ करते थे. लेकिन ही-मैन का जादू ही कुछ और था. आज जाकर लगता है कि साइंस-फंतासी के रूप में वह कार्टून सिरीज वाकई में अपने समय से काफी आगे थी. इसके लिए दो उदाहरण देना चाहूंगा. 
 
शुरूआती किसी एक एपिसोड में ही-मैन और डंकन, यानी मैन-एट-आर्म रेगिस्तान में कुछ ढूंढने की कोशिश करते हैं. डंकन के पास एक छोटा-सा यंत्र है, जो दूर से आते किसी सिग्नल को पकड़ रहा है. यंत्र, जिसके आगे की ओर एक छोटी सी छतरी लगी है, बाहर की ओर छड़ी के साथ एंटीना टिका है, आज के डिश जैसा दिखता है.
 
30 वर्षों बाद यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि डंकन उस यंत्र को लेकर क्या कर रहा था. हालांकि उस वैज्ञानिक थ्योरी की स्पष्टता की मैं गारंटी तो नहीं ले सकता, लेकिन पीछे मुड़कर देखता हूं तो वो बात पहले के मुकाबले आज ज्यादा रोमांचित करती है.
 
इसी एपिसोड के एक अगले सीन में एक रोबोट, लेजर किरणों द्वारा डंकन की फुल बॉडी एक्स-रे जांच करता है. बाद में जाकर ऐसा पॉल वॅरहोविन निर्देशित साइंस-फिक्शन एक्शन फिल्म ‘टोटल रिकॉल’ (1990) में देखने को मिला, जब एयरपोर्ट पर जांच अधिकारियों की नजर से बचने के लिए नायक डगलस क्वैड (ऑर्नोल्ड र्श्वाजनेगर) घबराहट में मानव का संपूर्ण एक्स-रे करने वाली एक विशाल मशीन की स्क्रीन को ही तहस-नहस कर देता है.
 
ध्यान देने वाली बात है कि यह फिल्म सन 2084, भविष्य पर आधारित थी. आज लगता है कि उस दौर के बच्चों के साथ क्या ये ज्यादती नहीं थी कि उनके सामने एक ऐसी पेचीदा साइंस-फिक्शन परोसी गयी, जिसे समझने की न तो उनकी उम्र थी और न ही ढंग से समझाने को कोई आस-पास होता था?  
 

साबू और ही-मैन, सॉलिड बॉडी वाले दो ही तो थे 


कार्टून का पूरा नाम तो ‘ही-मैन एंड दि मास्टर्स ऑफ दि यूनिवर्स’ था, लेकिन हम सब ‘ही-मैन’ ही पुकारते थे. ऐसा लगता था कि चाचा चौधरी के साबू के बाद ही-मैन ही सबसे ताकतवर इंसान है. चाचा चौधरी का साबू जूपिटर ग्रह से आया था और ये फाइटर ही-मैन, किंगडम ऑफ एटर्निया से.
 
हवा में अपनी करिश्माई तलवार चमकाते हुए वो गरजता- ‘बॉय दि पावर ऑफ ग्रेस्कल, ही-मैन...’ पर स्पष्ट रूप से यह लाइन और इसका मतलब हमें समझ ही नहीं आता था. कॉन्वेंट वालों की कह नहीं सकता. पर हम सरकारी स्कूल वाले अपने हिसाब से उसका मतलब निकल लेते थे और बार-बार ये लाइन बुदबुदाते हुए खुद को उसके जैसा ही ताकतवर समझने लगते थे.   
 
आज लगता है कि उस रोमांचकारी किरदार को लेकर उस समय बच्चों ने अपनी अलग-अलग परिभाषाएं गढ़ रखी होंगी. ऐसा इसलिए कि किसी को उसकी जादुई तलवार पसंद थी तो किसी को उसका हवा में उड़ने वाला जहाज.
 
माचिस और सिगरेट की खाली डिब्बियों को जोड़-तोड़कर हम उसका विमान बना लिया करते थे, जिसे हाथ से हवा में तैराते रहते। और हम में से एक बच्चे को लगता था कि उसका चाचा ही, ही-मैन है. क्योंकि वो रोज अखाड़े जाते हैं और उनके कमरे में एक बंदे का पोस्टर लगा हुआ था जिसकी बॉडी ही-मैन जैसी है.
 
ये सब एदकम सच लगने लगता था, क्योंकि उसके जैसा कोई किरदार हमने फिल्मों में भी नहीं देखा था. हमारे पड़ोस में कुछ बच्चे ऐसे भी थे जो ही-मैन और उस कार्टून सिरीज के अन्य पात्रों के छोटे-छोटे प्लास्टिक के ट्यॉज दिखाकर तड़ी जमाते थे. एक खिलौने के रूप में असीम शक्तियों का मालिक उनकी मुट्ठी में समा जाता था, और बाकियों के दिल में. वैसे, टीवी पर अवतरित होने से पहले ही-मैन ने खिलौने के रूप में बच्चों के दिल में जगह बनाई थी.
 

कहां से आया, क्या फर्क पड़ता है


मैटल टॉयज की उपज ही-मैन, एक अमेरिकी किरदार है जो खिलौनों की एक श्रंखला ‘मास्टर्स ऑफ दि यूनिवर्स’ पर आधारित है. आज गूगल पर उसके बारे में इतनी जानकारी मौजूद है कि एक छोटी सी किताब लिख दी जाए, लेकिन उस समय बच्चों को इससे कोई लेना-देना नहीं था कि वह कहां से आया है वगैराह वगैराह... उनके लिए तो यह एक सौगात थी.
 
एक ताकतवर इंसान, जिसके सामने स्केलेटॉर को हराने की चुनौती थी. कर्कश आवाज में बेहद डरावनी हंसी वाला नामुराद स्केलेटॉर, ने हम बच्चों के दिलों में ऐसा डर पैदा किया हुआ था मानो घर के किसी अंधेरे कोने से वो कब निकल आएगा. लबादा ओढ़े उस कंकाल खोपड़ी वाले विलेन की तुलना किसी से अन्य से नहीं जा सकती.
 
दरअसल, यह कार्टून किरदार पूरी दुनिया में धूम मचा रहा था. सन 1983 से 1985 के बीच इसका प्रसारण होता रहा और इस दौरान इसके दो सीजन आये, जिनमें प्रत्येक में 65 एपिसोड्स थे। यह शो इतना ज्यादा लोकप्रिय था कि 1988 तक इसका पुर्नप्रसारण चलता रहा और तब यूएसए नेटवर्क (एक अमेरिकी कंपनी) ने इस सिरीज के सारे आधिकार खरीद लिए.
 
फिर यूएसए नेटवर्क ने सितंबर 1990 तक इस सिरीज का प्रसारण किया. शो की आपार सफलता ने अन्य एनिमेशन कंपनियों को आधे घंटे तक के कार्टून विज्ञापन बनाने के लिए प्रेरित किया, जिसने आगे चलकर बड़े पैमाने पर कार्टून बाजार की दिशा ही बदल डाली.
 

फिल्मों में असफल, क्या वेब सिरीज से रिझा पाएगा


वैसे, कुछ तो बात रही होगी इस किरदार में जो यह आज भी मीडिया इंडस्ट्री के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। वर्ना 37 साल बाद क्यों कोई इसे फिर से कोरोड़ों रुपये लगातकर जीवित करने की सोचता. वो भी इस सूरत में जब कार्टून सिरीज से इतर लाइव फिल्म के रूप में ही-मैन को कभी सफलता नहीं मिली.
 
अतीत में देखें तो पता चलता है कि सन 1987 में गैरी गॉड्डार्ड के निर्देशन में ‘मास्टर्स ऑफ दि यूनिवर्स’, नामक एक फिल्म भी बनाई गई. डॉल्फ लैंडग्रेन (ही-मैन के रोल में) की मुख्य भूमिका से सजी इस फिल्म में स्केलेटॉर का किरदार फ्रैंक लंगेल्ला ने अदा किया था. समीक्षकों ने इस फिल्म को न केवल बुरी तरह धोया, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी यह औंधे मुंह गिरी. 
 
गौर करने वाली बात है कि ये फिल्म उस समय आयी थी जब टीवी पर ही-मैन सिरीज का पुर्नप्रसारण किया जा रहा था। और अभिनेता डॉल्फ लैंडग्रेन, 1985 में आयी फिल्म ‘रॉकी 4’ की सफलता से गदगद (विलेन की भूमिका निभाने के बावजूद) थे और अमेरिकी घरों में जाना-पहचाना नाम बन गए थे.
 
शायद मेकर्स को उम्मीद थी कि उनके इस रोल की तुलना ऑर्नोल्ड र्श्वाजनेगर की ‘कॉनन दि बॉर्बेरियन’ (1982) से होगी, क्योंकि ही-मैन का हूलिया वगैराह उससे काफी मिलता-जुलता था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.    
 
और अब ही-मैन की वापसी एक बार फिर हो रही है. हालांकि इससे पहले साल 2002 में भी टीवी पर ही-मैन की वापसी हुई थी. ‘मास्टर्स ऑफ दि यूनिवर्स वर्सेज दि स्नेक मैन’, सिरीज टूनामी चैनल पर आयी थी. एक और नई सिरीज कार्टून नेटवर्क चैनल पर 2003 में भी आयी. हिन्दी और अंग्रेजी में इस ताजा सिरीज का एनिमेशन पहले के मुकाबले ज्यादा चुस्त और अपडेट बताया गया.
 
अब तक देश के मीडिया संस्थानों में कॉरपोरेट जगत का आगमन हो चुका था. इसलिए नई सिरीज के व्यापक प्रचार-प्रसार की योजना बनाई गई, जिसमें मैटल टॉयज, इंडिया की टीम की भी जोरदार भागीदारी रही. 
वैसे, सहस्राब्दी में ही-मैन की वापसी का व्यापक स्तर पर तुलनात्मक अध्ययन शायद ही किया गया हो, क्योंकि तब तक चीजों की प्रसिद्धि के आकलन का आधार टीआरपी केन्द्रित हो चुका था.
 
लेकिन अब जिस तरह से ओटीटी के लिए ही-मैन को तैयार किया जा रहा है, वो शायद ज्यादातर लोगों को सोचने पर मजबूर कर सकता है. खबरों के अनुसार नेटफ्लिक्स द्वारा दो सिरीज का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें से एक ‘मास्टर्स ऑफ दि यूनिवर्सः रिविलेशन’, व्यस्कों के लिए बनाई जा रही है जो कि 1983 में आयी टीवी सिरीज का सीक्वल होगी.
 
केविन स्मिथ इसके निर्देशक हैं. सिरीज को आवाज देने वाले कलाकारों की घोषणा की जा चुकी है और ये भी बताया जा रहा है कि 10 भागों वाली इस सिरीज के दो भाग होंगे. अमेरिकी मैगजीन एंटरटेन्मेंट वीकली के अनुसार सिरीज के पांच एपिसोड्स का एक सेट 23 जुलाई, 2021 को रिलीज किया जाएगा. 
 
एक खबर ये भी है कि अंतिम एपिसोड में ही-मैन और स्केलेटॉर की लड़ाई के बाद के परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए इस नई सिरीज की कहानी को वहीं से शुरू किया जाएगा, जिसमें पूर्व कैप्टन टीला का किरदार भी शामिल है। ही-मैन के किरदार को अमेरिकी एक्टर क्रिस वुड आवाज दे रहे हैं, तो वहीं टीला को आवाज देंगी अभिनेत्री साराह मिशेल गैलर.
 
दूसरी सिरीज जो कि परिवार आधारित कार्टून सिरीज होगी, पर भी काम चल रहा है. हालांकि इसे लेकर अभी कुछ ज्यादा खुलासा नहीं किया जा रहा है.