क्यों याद किए गए मोहम्मद शाह आजम बरकाती

Story by  संदेश तिवारी | Published by  [email protected] | Date 09-07-2021
क्यों याद किए गए मोहम्मद शाह आजम बरकाती
क्यों याद किए गए मोहम्मद शाह आजम बरकाती

 

संदेश तिवारी / कानपुर

सामाजिक कार्यों के लिए कानपुर में खास पहचान रखने वाले मोहम्मद शाह आजम बरकाती के गुजर जाने से लोग बेहद सदमे में हैं. ऐसा नहीं कि वह केवल मुसलमानों के बीच खास पहचान रखते थे. उनके सामाजिक कर्यों के सभी धर्मों के लोग कायल हैं.

वह जब तक जीवित रहे, विभिन्न तरह के सामाजिक कार्यों में जुटे रहे.बरकाती को याद करने के लिए मदरसा जामिया अशरफुल मदारिस गदियाना, कानपुर में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया.

इसकी अध्यक्षता आल इंडिया गरीब नवाज काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद हाशिम अशरफी इमाम ईदगाह गद्दी याना ने की. इस दौरान आल इंडिया गरीब नवाज काउंसिल के मीडिया प्रभारी मोहम्मद शाह आजम बरकाती के दुनिया से गुजर जाने पर गहरे सदमे का इजहार किया गया. कार्यक्रम में विशेष तौर से नात ,कुरान,फातिहा पढ़ने एवं सामूहिक प्रार्थना का आयोजन किया गया.

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इस दौरान मौलाना अशरफी ने कहा बरकाती साहब सादा मिजाज,नेक दिल और बेहद मिलनसार व्यक्ति थे. लगभग 18साल तक काउंसिल के मीडिया प्रभारी रहे. इस्लामिक संगठन को चर्चित कराने में उनकी अहम भूमिका रही. जब 6रजब को ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के मौके पर छुट्टी की मांग का सवाल आया तो उस वक्त वह आगे-आगे रहे.

सोशल मीडिया में काउंसिल के तमाम कामों को बखूबी अंजाम दिया. मुसलमानों के बीच शराब के खिलाफ आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका कानपुर वासी कभी नहीं भूल पाएंगे. शहर में हरियाली को लेकर भी आंदोलन चलाया. गर्मियों में

सबील लगाने के कार्यक्रम आयोजित करते थे. गरीबों को आर्थिक सहायता पहुंचाने, निर्धन परिवारों के बच्चों को मुफ्त किताबें उपलब्ध कराने, मरीजों को फल बांटने जैसे काउंसिल के कार्यो में वही आगे-आगे रहते थे. 

7 जुलाई को बरकाती साहब का इंतकाल, आल इंडिया गरीब नवाज काउंसिल व शहर कानपुर और जमाते अहले सुन्नत के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है. कार्यक्रम में उनकी पत्नी व परिवार के लिए दुआ की गई. इस मौके पर काउंसिल के सदस्य खुर्शीद आलम, हाफिजतर रजा, आजाद अशरफी,इमाद महाराजपुर,हाफिज मसूद रजा इमाम अक्सा जामा मस्जिद गद्दीयाना,हाफिज मो अरशद अशरफी इमाम हसन हुसैन मस्जिद सनिगावां कालोनी,हाफिज नियाज अशरफी इमा्जिद श्याम नगर,हाफिज मो मुश्ताक आदि मौजूद थे.

 

ये भी कम नहीं है

 

कानपुर में उन्होंने मुसलमानों के बीच कई सुधारात्मक कार्यक्रम किए. इस लिए भी उन्हें याद किया जाता है. अपने कामों के चलते उन्हें शहर के प्रेस क्लब में कई बार सम्मानित किया गया था. मुस्लिम समाज ही नहीं दूसरे धर्म के लोगों के बीच भी उनकी हमदर्दी के किस्से बहुत चर्चित हैं.

कहते हैं कि आल इंडिया गरीब नवाज काउंसिल के मोहम्मद शाह बरकाती किसी भी धर्म के खांचे में नहीं बंधे थे. जिस तरह कोई बच्चा यह तय नहीं कर सकता कि वह किस परिवार में जन्मेगा . उसी तरह बरकाती ने कभी अपने काम में भेद-भाव नहीं किया.

मोहम्मद शाह बरकती ने बेटियों की पढ़ाई को लेकर मुस्लिम ही नहीं सभी समाज में जागरूकता अभियान चलाया.उनका मानना था बेटियों के शिक्षित होने से समाज का अधिक भला होगा .कई बार अपने खर्चे पर गरीब बच्चियों की मदद करते थे.

बरकाती ने अपनी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए कभी दबाव नहीं डाला. कभी किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाया. किसी को कभी बेवजह नहीं डांटा. सभी के प्रति उनका प्यार-भाव था . वह रईस नहीं थे.

फिर भी सभी की मदद को आतुर रहते थे. उनकी प्राथमिकताओं मंे मुसलमान की बेहतरीन शिक्षा थी. वह अपनी जरूरतों को दरकिनार कर सादा जीवन जीते थे. वह खुद भी मेहनत करते और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते थे. वह कहते थे कि मेहनत हमारी बड़ी पूंजी है.

 

सम्मान करना सीखा

राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद हाशिम अशरफी बतातें है कि मोहम्मद शाह बरकाती को स्कूल के दिनों में लगता था कि वह बडे़ होकर जरूर कुछ बनेंगे. वह किताबों में हर वक्त डूबे रहते थे.
वह कहा करते थे, मुसलमान शिक्षित हो जाए तो उसकी तमाम चिंताएं दूर हो जाएं.
 
इसकी बदौनत कोई भी लक्ष्य तक पहुंच सकता है. जीत और हार आपके हाथ में है. जीतने के लिए गलत तरीकों की जरूरत नहीं. सच्चाई और नेक रास्तों पर चलकर जीत हासिल की जा सकती है.
 
 
पैसा कमाने में बुराई नही, लेकिन दूसरों की मदद करना जरूरी है. तिकड़म के जरिए आगे बढ़ने की धुन पालना ठीक नहीं. दूसरों को धक्का देकर आगे बढ़ने से आप कुछ समय के लिए आगे तो हो सकते हैं, लेकिन ऐसी सफलता बहुत दिन नहीं टिकती. ईमानदारी के रास्ते में कठिनाई आती है, लेकिन अकेले नहीं होंगे. सच्ची अंतरात्माएं हमेशा साथ हांेगी.

बताते हैं कि शाह बरकाती  सहयोगियों के साथ मददगगर थे. कई मित्रों ने उनकी मदद के किस्से सुनाए. उनके प्रति कृतज्ञता का इजहार किया.