नई दिल्ली. देश में पारस्परिक प्रेम और सौहार्द के माहौल को बढ़ावा देने के लिए मजहबी रहनुमाओं को आगे आना होगा. यह बात आर्क-बीशप हाउस में विभिन्न धर्मों के नामचीन प्रतिनिधियों के संयुक्त कार्यक्रम में सामूहिक रूप से कही गई.कार्यक्रम आर्क-बीशप अनिल जोजफ थॉमस ‘कोटो’ को 1981में पादरी नियुक्त किए जाने के चालीस साल पूरे होने पर आयोजित किया गया था.
इस अवसर पर जमाअत इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद सलीम इंजीनियर भी मौजूद थे. उन्होंने कोविड महामारी और वैक्सिन की जिक्र करते हुए कहा कि इस दौरान हमने नफरत के वायरस का भी सामना किया. उन्होंने कहा कि इसके उन्मूलन के लिए मजहबी रहनुमाओं को मिलजुल कर प्रयास करना होगा.
कार्यक्रम में विश्व धर्म संसद के अध्यक्ष आचार्य सुशील गोस्वामी, जैन धर्म के विवके मुणी, ग्रंथी गुरुद्वारा बंग्ला साहब के चीफ ज्ञानी रंजीत सिंह, डॉक्टर जॉन दयाल, यहूदी रिब्बी आइजक मालकार, राम कृष्ण मिशन के शांतामानंदा, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग पूर्व सदस्य एसी माइकल, फादर फिलिक्स जॉन, आल इंडिया मजलिस मुशावरत के अध्यक्ष नवेद हामिद आदि भी विशेष तौर से मौजूद रहे.
मजहबी रहनुमाओं ने संयुक्त बयान में कहा कि मौजूदा हालात में मजहबी पेशवाओं की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं. मजहबी रहनुमा देश में नफरत के माहौल को मोहब्बत में बदलने की भूमिका प्रभावी रूप में अदा कर सकते हैं. मजहबी रहनुमाओं ने आर्कबीशप को मोबारकबाद भी पेश किया.