बकरीद पर क्या कहा जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने जानें

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 18-07-2021
बकरीद पर क्या कहा जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने जानें
बकरीद पर क्या कहा जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने जानें

 

आवाज द वाॅयस नई दिल्ली

जमीअत उलमा-ए-हिन्द ने देश के मुसलमानों को बकरीद और कोरोना के मददेनजर कई सालह दी है. इसकी ओर से कहा गया है कि कोरोना वायरस अभी समाप्त नहीं हुआ है. इसलिए  मस्जिदों या ईदगाहों में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से  जारी गाइडलाइन का ईदुल अजहा की नमाज अदा करते हुए सख्ती से पालन करें.
 
जमीअत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा है कि बेहतर है कि सूरज निकलने के बीस मिनट के बाद संक्षिप्त रूप से नमाज और खुतबा अदा करके कुरबानी कर ली जाए. जमीअत की ओर से यह भी कहा गया है कि कुरबानी से होने वाली गंदगी को इस तरह दफ्न किया जाए कि उससे बदबू न फैले.
 
देश, विशेषकर उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों की परिस्थितियों को देखते हुए मुसलमानों को सलाह दी गई है कि फिलहाल प्रतिबंधित जानवरों की कुरबानी से बचें. चूंकि मजहब में इसके बदले में काले जानवरों की कुरबानी जायज है, इसलिए हंगामी सूरत से बचने के लिए इस पर संतोष करना उचित है.
 
अगर किसी जगह उपद्रवी काले जानवरों की कुरबानी से रोकते हैं, तो इलाके के समझदार और प्रभावशाली लोगों द्वारा प्रशासन को विश्वास में लेकर कुरबानी की जा सकती है. इसके बावजूद मजहबी वाजिब को अदा करने का रास्ता न निकले तो जिस करीबी आबादी में कोई दिक्कत न हो वहां कुरबानी कराई जा सकती है.
 
साथ ही जिस जगह कुरबानी होती आई है और फिलहाल दिक्कत है तो वहां कम से कम बकरे की कुरबानी अवश्य की जाए. इस बारे में प्रशासन को भी सूचित किया जाए ताकि भविष्य में किसी तरह का बखेड़ा न खड़ा किया जा सके.
 
जमीअत उलमा-ए-हिन्द की ओर से कहा गया है कि परिस्थितियों से मुसलमानों को निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि परिस्थितियों का मुकाबला शांति, प्रेम और धैर्य से हर मोर्चे पर करना चाहिए. साथ ही कोरोना वायरसे जैसी महामारी से सुरक्षा के लिए मुसलमानों को अल्लाह से दुआ करनी चाहिए.