ईद-उल-अजहा का महत्व क्या है, जानिए

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 08-07-2022
ईद-उल-अजहा का महत्व क्या है, जानिए
ईद-उल-अजहा का महत्व क्या है, जानिए

 

ईमान सकीना

हज के आखिरी दिन मुसलमान ईद-उल-अजहा मनाते हैं. हज सऊदी अरब में मक्का की तीर्थयात्रा है. यह हर साल होती है और इस्लाम का पांचवां स्तंभ है और इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है. सभी मुसलमान जो फिट और यात्रा करने में सक्षम हैं, उन्हें अपने जीवन में कम से कम एक बार मक्का की यात्रा करनी चाहिए. हज के दौरान तीर्थयात्री विभिन्न अनुष्ठान करते हैं और दुनिया में अपने विश्वास और उद्देश्य की भावना को नवीनीकृत करते हैं.

ईद-उल-अजहा तेजी से आ रही है. हमारे पार्टी मेनू या हमारे बच्चों के ईद उपहार या बच्चों के लिए हज उपहार की योजना बनाने के साथ-साथ यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि हम ईद-उल-अजहा क्यों मनाते हैं? यह परंपरा कहां से आती है? यह क्या प्रतीक है?

भले ही पैगंबर मुहम्मद (षांति हो उन पर) ने ईद-उल-अजहा मनाने की प्रथा की स्थापना की. बहुत से लोग यह जानकर चकित होंगे कि यह वास्तव में पैगंबर इब्राहिम (ए.एस.) का सम्मान करने वाला उत्सव है, उनकी कठिनाइयों, धीरज, धैर्य और अल्लाह में अटूट विश्वास का जज्बा है यह त्योहार.

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पैगंबर इब्राहिम (एएस) इस्लामी विश्वास में एक बहुत ही प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जिनका कुरान में 69 बार नाम से उल्लेख किया गया है. पैगंबर इब्राहिम (एएस) को आज्ञाकारिता और धार्मिकता के एक मॉडल के रूप में वर्णित किया गया है.

‘‘निश्चित रूप से इब्राहीम एक उदाहरण था, अल्लाह का आज्ञाकारी, स्वभाव से सीधा और वह बहुदेववादियों में से नहीं था. वह हमारे इनामों के लिए आभारी थे. हमने उसे चुन लिया और उसे सही रास्ते पर ले गए. हमने उसे इस संसार में भलाई दी है और परलोक में वह निश्चय ही नेक लोगों में होगा.’’

(कुरान 16:120-121)

पैगंबर इब्राहिम (एएस) को अल्लाह द्वारा कई परीक्षणों और कष्टों के माध्यम से रखा गया था, लेकिन उनका विश्वास अटूट था.

इब्राहिम ने एक सपना देखा, जिसमें उनका मानना था कि अल्लाह ने उन्हें अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने का आदेश दिया था. उन्होंने अपने बेटे को बताया कि क्या हुआ था और हजरत इस्माइल  खुद एक महान नबी होने के नाते, सहमत हुए कि अगर यह अल्लाह का आदेश था, तो उन्हें उसका पालन करना चाहिए.

पैगंबर इब्राहिम (एएस) और इस्माइल ने अराफात पर्वत की यात्रा की और बलिदान करने के लिए तैयार थे, तब अल्लाह ने इस्माइल (एएस) के स्थान पर एक दुम्बा भेजा, और उनकी जान बच गई. पैगंबर इब्राहिम और हजरत इस्माइल दोनों ने साबित कर दिया था कि वे अल्लाह की आज्ञा का पालन करेंगे, चाहे कुछ भी हो.

यही कारण है कि ईद-उल-अजहा पर मुसलमान कुर्बानी करते हैं. पैगंबर इब्राहिम और इस्माइल (एएस) के ‘बलिदान’ को मनाने के लिए हमें सलाह दी जाती है कि एक तिहाई कुर्बानी तत्काल परिवार के लिए रखें, एक तिहाई दोस्तों को दें और एक तिहाई गरीबों को दें.

कुर्बानी का यह कार्य और अन्य सांसारिक चीजों को छोड़ने की इच्छा, हजरत इब्राहिम (एएस) की उस बलिदान की इच्छा की याद दिलाती है, जिसे वह इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करते थे, अपने बेटे हजरत इस्माइल (ए.एस.) को.