नई दिल्ली. उपभोक्ता उत्पाद, एफएमसीजी और पूंजीगत वस्तुओं के समूह में हुई बिकवाली के दबाव में घरेलू शेयर बाजार शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन गिरावट में बंद हुये.
बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 0.4 प्रतिशत यानी 233 अंक की गिरावट में 57,362 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 0.4 प्रतिशत यानी 70 अंक फिसलकर 17,153 अंक पर बंद हुआ.
यूरोपीय बाजारों में तेजी देखी गई लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण हांगकांग का हैंगशैंग और चीन का शंघाई कंपोजिट धराशायी हो गया.
शेयर बाजार में दिनभर उठापटक होती रही. कच्चे तेल की कीमतों में आयी गिरावट से निवेशकों को हल्की राहत मिली, लेकिन उन पर युद्ध के कारण महंगाई बढ़ने का दबाव अधिक हावी रहा.
बीएसई में कुल 3,510 कंपनियों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2,078 में गिरावट और 1,329 में तेजी देखी गयी, जबकि शेष कंपनियां दिनभर की उठापटक के बाद स्थिर बंद हुईं.
सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से 22 लाल निशान में और शेष आठ हरे निशान में रहीं. टाइटन , टेक महिंद्रा और मारुति सुजुकी को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा जबकि डॉ रेड्डीज, एशियन पेंट्स तथा रिलायंस में तेजी रही.
निफ्टी में 50 में से 37 कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा, जबकि 13 कंपनियों में लिवाली देखी गयी. टाइटन, टेक महिंद्रा और मारुति को निफ्टी में भी सर्वाधिक बिकवाली देखनी पड़ी.
जियोजीत फाइनेंशियल के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि हाल में 10 प्रतिशत का उछाल देखने के बाद शेयर बाजार नकारात्मक धारणा का शिकार हो गया है. कमोडिटी के दाम बढ़ने से, मौद्रिक नीति को सख्त करने से और महंगाई के दबाव में निवेश धारणा कमजोर हो गयी है.
उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार मजबूत रुख अपनाये हुए है लेकिन युद्ध के परिणाम और कमोडिटी के दाम इसे प्रभावित कर सकते हैं.