रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय चाय का निर्यात होगा प्रभावित

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 27-02-2022
रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय चाय का निर्यात होगा प्रभावित
रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय चाय का निर्यात होगा प्रभावित

 

नयी दिल्ली. गैर प्रतिस्पद्धी कीमतों, गुणवत्तापूर्ण फसल की कमी, विदेशी मांग में सुस्ती और बढ़ती मजदूरी के कारण पहले से जूझ रहे देश के चाय उद्योग को अब रूस-यूक्रेन युद्ध के अधिक दिनों तक जारी रहने की चिंता भी सताने लगी है. भारत रूस और सीआईएस देशों में भारी मात्रा में चाय निर्यात करता है और इसी कारण चाय उद्योग को चिंता है कि अगर रूस-यूक्रेन का युद्ध और अधिक दिनों जारी रहता है और हिंसा इन दोनों देशों की सीमा के बाहर भी भड़क जाती है, तो इससे चाय निर्यात पर बहुत बुरा असर पड़ेगा.


सीआईएस देश स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रमंडल है, जिसके सदस्य आर्मेनिया, अजरबेजान, बेलारूस, कजाख्स्तान, किर्गिजिस्तान, मोलदोवा, रूस, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं] जबकि तुर्कमेनिस्तान सहयोगी देश और अफगानिस्तान तथा मंगोलिया पर्यवेक्षक देश हैं. जॉर्जिया और यूक्रेन भी पहले इससे जुड़े थे लेकिन रूस के साथ विवाद के कारण दोनों देशों ने अपनी सदस्यता वापस ले ली.

 

गुवाहाटी चाय नीलामी खरीदार संगठन के सचिव दिनेश बिहानी का कहना है कि रूस और सीआईएस देश भारतीय चाय के बहुत महत्वपूर्ण बाजार हैं.

 

बिहानी का कहना है कि अगर युद्ध लंबे समय तक जारी रहता है और यूरोपीय देश और अधिक प्रतिबंध लगाते हैं तो इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा.

 

उन्होंने कहा,अगर हम यह बाजार खो देते हैं तो घरेलू स्तर पर चाय की कीमतों में और अधिक गिरावट आ जायेगी क्योंकि घरेलू बाजार में पहले से ही अधिक मात्रा में चाय उपलब्ध है.

 

उन्होंने भारतीय चाय बोर्ड के आंकड़े का जिक्र करते हुये कहा कि भारत ने जनवरी-नवंबर 2021 के बीच सीआईएस देशों को 40.17 मिलियन किलोग्राम चाय का निर्यात किया, जिसकी कीमत करीब 744 करोड़ रुपये है.

 

बिहानी ने बताया कि कुल निर्यात में रूस की हिस्सेदारी करीब 77 प्रतिशत है यानी वहां 30.84 मिलियन किलोग्राम चाय का निर्यात किया गया, जिसकी कीमत करीब 558 करोड़ रुपये थे.

 

इसी अवधि में यूक्रेन को 1.6 मिलियन किलोग्राम,जिसकी कीमत करीब 30 करोड़ रुपये थी, कजाख्स्तान को 6.25 मिलियन किलोग्राम, जिसकी कीमत 127 करोड़ रुपये थी और अन्य सीआईएस देशों को 1.43 मिलियन किलोग्राम ,जिसकी कीमत करीब 29 करोड़ रुपये थी, चाय निर्यात किया गया.

 

इससे पिछले साल की समान अवधि में 46.39 मिलियन किलोग्राम चाय का निर्यात किया गया था, जिसकी कीमत करीब 823 करोड़ रुपये थी.

 

उन्होंने कहा कि पिछले साल चाय का निर्यात मुख्य रूप से ईरान के साथ भुगतान प्रणाली पर अस्पष्टता और केन्या की तुलना में भारतीय सीटीसी चाय की ऊंची कीमत के कारण प्रभावित रहा था.

 

एक अनुमान के मुताबिक भारत का चाय निर्यात वर्ष 2020 में निर्यातित 207.58 मिलियन किलोग्राम चाय की तुलना में करीब 12 से 13 प्रतिशत की गिरावट के साथ वर्ष 2021 में 180 मिलियन किलोग्राम के करीब रहेगा.