नई दिल्ली. सैन फ्रांसिस्को की वायु शोधन प्रौद्योगिकी कंपनी मोलेक्यूल की भारत में अनुसंधान और विकास में निवेश करने की योजना है. मोलेक्यूल के सह-संस्थापक, अध्यक्ष और सीटीओ दिलीप गोस्वामी ने कहा कि कंपनी भारत में प्रवेश के साथ भारत के शीर्ष अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी की है.
भारत में अनुसंधान एवं विकास निवेश के सवाल पर गोस्वामी ने कहा, बिल्कुल, मोलेक्यूल पहली और सबसे महत्वपूर्ण विज्ञान कंपनी है जो वायु प्रदूषण की चुनौतियों को हल करने के लिए अकादमिक अनुसंधान से वैज्ञानिक नवाचार ला रही है. हमारी टीम व्यापक शोध और कठोर परीक्षण करती है.
समर्पित वैज्ञानिकों और आंतरिक परीक्षण प्रयोगशालाओं की अपनी टीम के अलावा, कंपनी अपनी पीईसीओ तकनीक का परीक्षण करने के लिए दुनिया की कुछ शीर्ष स्वतंत्र प्रयोगशालाओं के साथ भी काम करती है.
भारत में कंपनी के निवेश के बारे में बात करते हुए गोस्वामी ने कहा कि भारतीय बाजार के लिए उसकी दोहरी रणनीति है.
यह देखते हुए कि भारत में न केवल घरों में, बल्कि सभी वातावरणों में प्रभावी वायु शोधन तकनीक की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भारत में हमारा निवेश दो गुना होगा. पहले हम अपने उत्पादों को घरों में लाने के लिए एक टीम का निर्माण कर रहे हैं. आज और हवा की गुणवत्ता के मुद्दों को तुरंत दूर करने में मदद करते हैं, और दूसरी बात, हम उन सभी वातावरणों के लिए मौलिक समाधान तलाशने के लिए साझेदारी विकसित कर रहे हैं जहां स्वच्छ हवा घर से परे महत्वपूर्ण है.
परीक्षण ने प्रदर्शित किया कि मोलेक्यूल की पीईसीओ वयु शोधन तकनीक एकल-पास प्रयोगों में कोरोनावायरस उपभेदों (गोजातीय और सुअर के उपभेदों) और एच1एन1 फ्लू वायरस को 99.99 प्रतिशत तक निष्क्रिय कर देती है.