ड्रैगन फ्रूट में सेहत खजाना, बदलेगा किसानों का मुकद्दर

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 10-02-2021
ड्रैगन फ्रूट में सेहत खजाना, बदलेगा किसानों का मुकद्दर
ड्रैगन फ्रूट में सेहत खजाना, बदलेगा किसानों का मुकद्दर

 

 

विवेक त्रिपाठी

लखनऊ. किसानों की आय दोगुना करने के चल रहे प्रयासों के बीच यूपी की योगी सरकार अब ड्रैगन फ्रूट महोत्सव कराने की तैयारी कर रही है. अभी झांसी में स्ट्रॉबेरी महोत्सव कर चुकी है. ड्रैगन फ्रूट में जबरदस्त सेहत खजाना पाया जाता है. जो कि किसानों के मुकद्दर को बदलने में कारगर साबित होगा. ड्रैगन फ्रूट फल के साथ दवा भी है.

एंटीऑक्सीडेंट, बसा रहित, फाइबर से भरपूर ड्रैगन फ्रूट में कैल्शियम, मैग्नेशियम और आयरन के अलावा प्रचुर मात्रा में विटामिन सी एवं ए भी पाया जाता है. अपनी इन्ही खूबियों के नाते इसे सुपर फ्रूट भी कहा जाता है. मर्जी आपकी आप इसे सीधा खाइए या सलाद, जैम, जेली या जूस के रूप में. हर रूप में ये आपकी सेहत को सलामत रखेगा. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा.

सुगर के नियंत्रण और रोकथाम में भी इसे प्रभावी पाया गया है. बाकी विटामिन्स और खनिजों के भी अपने लाभ हैं. इन खूबियों के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मुरीद हैं. नवम्बर में मुख्यमंत्री ने ड्रैगन फ्रूट किसानों से मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री की मंशा है कि खेतीबाड़ी से संबधित ऐसे उपयोगी फलों की खूबियों को लोग जानें. इनकी मांग निकले. किसान इनकी खेती करें.

उनको अपने उत्पाद का वाजिब दाम मिले, इसके लिए वह उनका स्थानीय स्तर पर महोत्सव भी करवाना चाहते हैं. झांसी में स्ट्रॉबेरी महोत्सव हो चुका है. गोरखपुर में सुनहरी सकरकन्द महोत्सव होना है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री ड्रैगन महोत्सव आयोजित करने का भी निर्देश दे चुके हैं. आने वाले दिनों में कुशीनगर में केला, प्रतापगढ़ में आंवला, प्रयागराज में अमरूद महोत्सव का आयोजन भी सरकार कर सकती है.

ये सभी उत्पाद संबधित जिलों के एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) हैं। ड्रैगन फ्रूट, सुनहरी सकरकन्द ओर स्ट्रॉबेरी की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात कार्यक्रम में भी कर चुके हैं. ड्रैगन फ्रूट को पिताया फल के नाम से भी जानते हैं, इसे ज्यादातर मेक्सिको और सेंट्रल एशिया में खाया जाता है. इसका टेस्ट काफी हद तक तरबूज जैसा होता है.

देखने में यह नागफनी जैसा दिखता है। ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले सुलतानपुर जिले के लम्भुआ ग्राम कोयरा खुर्द के गया प्रसाद सिंह उर्फ मुरारी सिंह ने कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिष्टाचार भेंट की थी. प्रधानमंत्री की मन की बात में भी इसकी चर्चा की थी. इसके बाद सुर्खियों में आए ड्रैगन फ्रूट की खेती बाराबंकी, कुशीनगर के भी कुछ प्रगतिशील किसान करने लगे हैं.

गया प्रसाद सिंह के मुताबिक ड्रैगन फ्रूट की आर्गेनिक तरीके से प्रदेश में बड़े स्तर पर खेती की जा सकती है. इससे किसानों की आय 8 गुना तक बढ़ सकती है. वह खुद भी ऑर्गेनिक तरीके से इसकी खेती करते हैं. झांसी के हरदीप चावला, गुरुलीन चावला भी जैविक तरीके से ही स्ट्राबेरी की खेती करते हैं. मुख्यमंत्री की मंशा है भविष्य में आयोजित होने वाले महोत्सवों में संबधित उत्पादों के जैविक खेती पर ही जोर दिया जाए.

सब्जी वैज्ञानिक डॉ. एसपी सिंह के मुताबिक इसकी खेती अधिकतम 40 डिग्री और न्यूनतम 7 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर की जा सकती है. किंतु 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है. ड्रैगन की खेती वाली भूमि पर उचित जल निकासी जरूरी है. प्रजाति के आधार पर ड्रैगन फ्रूट लाल-गुलाबी और पीले रंग का हो सकता है.

इसकी लताओं का रोपड़ होता है. रोपड़ के समय लाइन से लाइन की दूरी 4 मीटर और पौध से पौध की दूरी तीन मीटर की रखी जाती है. उचित बढ़वार और फलत के लीए रोपड़ के पूर्व गड्ढा तैयार कर 10 किलो सड़ी गोबर की खाद एवं 50 ग्राम एन.पी.के. (नाइट्रोजन, फास्फोरस ओर पोटाश) प्रति गड्ढा में मिलाकर रोपाई करते हैं.

ड्रैगन फ्रूट की रोपाई जून-जुलाई एवं सिंचाई का साधन होने पर फरवरी-मार्च में भी कर सकते हैं. इसका पौधा 20 से 25 साल तक फल देता है. इसकी खेती हेतु 7 से 8 फीट ऊंचे सीमेंट के खंभे गाड़ कर तार से मचान बनाया जाता है। रोपाई के दो साल बाद फल आता है.