आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
महिला एवं बाल विकास विभाग के आदेश के बाद गुरुवार को दिल्ली महिला आयोग के कुल 223कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया.यह आदेश 2017में उपराज्यपाल को सौंपी गई एक जांच रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की मंजूरी के बाद जारी किया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, डीसीडब्ल्यू की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कथित तौर पर वित्त विभाग और उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना इन कर्मचारियों की नियुक्ति की थी.आदेश में कहा गया कि डीसीडब्ल्यू अधिनियम के तहत केवल 40पद स्वीकृत थे और अतिरिक्त सदस्यों की नियुक्ति के लिए कोई मंजूरी नहीं ली गई थी.
आदेश में कहा गया है कि डीसीडब्ल्यू के पास उन्हें संविदा कर्मचारियों के रूप में नियुक्त करने की शक्ति नहीं थी.आदेश में कहा गया है कि कर्मचारियों की नियुक्ति करते समय DCW द्वारा किसी भी उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था और "प्रत्येक पद के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की वास्तविक आवश्यकता और पात्रता मानदंड का आकलन करने" के लिए कोई अध्ययन नहीं किया गया था.
इसमें कहा गया है कि कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए एनसीटी दिल्ली सरकार से कोई प्रशासनिक मंजूरी और स्वीकृत व्यय प्राप्त नहीं किया गया था और पदों के लिए आवेदन कोई समस्या नहीं थी.आदेश में आगे कहा गया कि पदों के लिए नियुक्त कर्मचारियों को भी कोई भूमिका और जिम्मेदारियां नहीं सौंपी गईं.