आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा किसानों के हितों की रक्षा करने के आश्वासन के बावजूद, गेहूं घोटाले की जांच के प्रति पाकिस्तानी सरकार की प्रतिक्रिया टालमटोल वाली प्रतीत होती है.
जबकि उन्होंने किसानों के लिए अटूट समर्थन का वादा किया है, संघीय सरकार कथित घोटाले की गहन जांच करने और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने में अनिच्छा जाहिर है.
गेंहू आयात में अनियमितताओं को उजागर करने के लिए गठित तथ्य-खोजी समिति का नेतृत्व कैबिनेट सचिव कामरान अली अफजल कर रहे हैं.
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच में पूरी तरह से शामिल होने के लिए सरकार के भीतर हिचकिचाहट का एक तत्व है.
पीएमएल-एन के एक सूत्र ने नवाज शरीफ द्वारा अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर जोर देने का खुलासा किया, चाहे उनका राजनीतिक प्रभाव कुछ भी हो.
हालांकि, डॉन के अनुसार, सुझावों के बावजूद, जांच में एनएबी या एफआईए जैसी संस्थाओं को शामिल करने के लिए वर्तमान सरकार की ओर से उत्साह की कमी देखी जा रही है.
सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार द्वारा एनएबी या एफआईए को शामिल करने से इंकार करने से लोगों में खलबली मच गई है, खास तौर पर कथित घोटाले की गंभीरता को देखते हुए, जो 500 मिलियन पाकिस्तानी रुपये से अधिक है, जो नए कानूनों के अनुसार उनकी संलिप्तता को उचित ठहराता है. सरकार का सतर्क दृष्टिकोण, जिसे पूर्व कार्यवाहक सरकार की संलिप्तता के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, विवादास्पद जमीन पर कदम रखने की अनिच्छा को दर्शाता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनावों के बाद शहबाज शरीफ के प्रशासन के तहत गेहूं के बड़े पैमाने पर आयात का सुझाव देने वाली रिपोर्टों ने विवाद को और बढ़ा दिया है. सरकारी अधिकारियों के इनकार ने आरोपों का खंडन किया है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है. गेहूं संकट के लिए कार्यवाहक सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है, जिससे वर्तमान प्रशासन किसी भी तरह की जिम्मेदारी से दूर हो गया है. तथ्य-खोज समिति द्वारा पूर्व कार्यवाहक अधिकारियों को बुलाने की रिपोर्टों ने भ्रम को और बढ़ा दिया है, जिसका इसके प्रमुख कामरान अली अफजल ने तुरंत खंडन किया. पीएमएल-एन के भीतर तनाव बढ़ता जा रहा है, जिसमें हनीफ अब्बासी गेहूं घोटाले को लेकर पूर्व कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर से भिड़ गए हैं. काकर की छिपी हुई धमकियाँ अंतर्निहित राजनीतिक चालबाज़ियों की ओर इशारा करती हैं, जो सामने आ रहे नाटक में साज़िश को और बढ़ा देती हैं.
पीटीआई ने विपक्षी खेमे के भीतर कलह का फ़ायदा उठाते हुए न्यायिक आयोग के गठन के लिए दबाव बनाने का मौक़ा भुनाया. अराजकता के बीच, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने किसानों को अपने अटूट समर्थन का भरोसा दिलाने का प्रयास किया.
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक समिति का गठन उनके सक्रिय रुख को दर्शाता है, जिसका उद्देश्य गेहूं की खरीद के बारे में चिंताओं को कम करना है.