स्विट्जरलैंडः तिब्बतियों ने चीनी मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ किया शांति मार्च

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 27-09-2021
फाइल फोटो
फाइल फोटो

 

जिनेवा. स्विट्जरलैंड के तिब्बती समुदाय और लिकटेंस्टीन (टीसीएसएल) ने तिब्बत में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति के लिए चीन के विरोध में शांति मार्च का आयोजन किया है.

मार्च 24 सितंबर को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के भवन तक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय से निकाला गया था. समुदाय के सदस्यों ने संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त से चीन को लगातार उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराने की अपील की है. तिब्बत में मानवाधिकारों और 48वें यूएनएचआरसी सत्रों के दौरान और बयानों में मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के मुद्दे को उठाया.

मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त को संबोधित एक अपील पत्र में, समुदाय ने चीन द्वारा तिब्बत में आत्मसात करने की नीति की गहनता, तिब्बती बच्चों के लिए अनिवार्य सैन्य ग्रीष्मकालीन शिविर, डीजा वोनपो, कर्जे तिब्बती क्षेत्र में बिगड़ती स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की. चीन के सिचुआन प्रांत, 11वें पंचेन लामा का लगातार गायब होना और तिब्बत में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का लगातार उल्लंघन.

टीसीएसएल के अध्यक्ष, कर्मा चोएकी ने तिब्बत में बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई है और तिब्बत में छह दशकों से अधिक समय से तिब्बत में चीनी अधिकारियों द्वारा किए गए अत्याचारों का मुकाबला करने के लिए तिब्बतियों को एकजुट होने का आह्वान किया है.

दुनिया भर में राजनीतिक स्वतंत्रता के एक अध्ययन पर आधारित नवीनतम रिपोर्ट ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021ः ए लीडरलेस स्ट्रगल फॉर डेमोक्रेसी’ के अनुसार, तिब्बत को दुनिया में दूसरे सबसे कम मुक्त क्षेत्र के रूप में स्थान दिया गया है.

तिब्बत पर बीजिंग स्थित चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार का शासन है, जिसमें स्थानीय निर्णय लेने की शक्ति चीनी पार्टी के अधिकारियों के हाथों में केंद्रित है.

1950 में चीन के आक्रमण से पहले तिब्बत एक संप्रभु राज्य था जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने उत्तरी तिब्बत में प्रवेश किया.