नई दिल्ली. अफगानिस्तान में अमेरिका के सैन्य अभियानों में कथित रूप से उन्हें अपना समर्थन देने के लिए पाकिस्तान कटघरे में आ गया है. अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान से होकर उड़ान या जमीनी रास्ते से जाने की इजाजत देने को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान घेर लिए गए हैं.
इस विवाद की शुरूआत अमेरिका में पिछले शुक्रवार से हुई और इस्लामाबाद में इमरान खान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अब भी जारी है. इसका प्रभाव अफगानिस्तान-पाकिस्तान वाले क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है, क्योंकि यहां से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
पेंटागन के अधिकारी डेविड एफ हेल्वे ने पिछले हफ्ते सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति को बताया कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ जुड़ना जारी रखेगा, क्योंकि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया का समर्थन करने में पाकिस्तान की भूमिका अहम रही है. हिंद-प्रशांत सुरक्षा से जुड़े मामलों के कार्यकारी सहायक रक्षा सचिव डेविड हेल्वे ने आगे कहा कि खासकर पाकिस्तान ने अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान में अपना अभियान चलाने के लिए पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरने की अनुमति दी. यहां अमेरिका लगभग दो दशकों से आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगा हुआ है.
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने हेल्वे के हवाले से कहा, “पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उन्होंने अफगान शांति प्रक्रिया का समर्थन किया है. हम पाकिस्तान के साथ अपनी बातचीत जारी रखेंगे, क्योंकि उनका समर्थन और अफगानिस्तान के भविष्य में उनका योगदान काफी महत्वपूर्ण होने वाला है. यह बात कहकर पेंटागन अधिकारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान भविष्य में भी अमेरिका को हवाई क्षेत्र के साथ-साथ साजो-सामान की मदद भी मुहैया कराएगा.”
हालांकि विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेर लिया है. अमेरिकियों को जमीनी और हवाई सहायता प्रदान करने की बात का कई लोगों द्वारा यहां विरोध जारी है.