आवाज द वाॅयस /इस्लामाबाद
सुप्रीम कोर्ट के गुरूवार के फैसले से इमरान खान का चाहे भविश्य जो हो, पर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट और सैन्य प्रतिश्ठान इस बार खुद को तटस्थ करने में कामयाब रहा. हालांकि, संसद भंग करने के सिलसिले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से कई सवाल खड़े हो गए हैं.
पूछा जा रहा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर ‘नजरिया-ए-जरूरत‘ को लेकर इतिहास दोहराएगा ? इसकी पृष्ठभूमि में मिसाल कायम करना है या नई सरकार में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को अपनी कुर्सी बचाने की फिक्र है ?
ये और कई अन्य चिंताएं और फुसफुसाहट हैं जो न केवल राजनीतिक हलकों में बल्कि आर्थिक, व्यापारिक हलकों और अन्य क्षेत्रों में सुनी जा रही हैं. दूसरी तरफ, बुद्धिजीवियों, कानूनी समुदाय के लोगों, समान विचारधारा वाले विचारक एक अलग ही तस्वीर पेष करने रहे हैं.
इनका कहना कि सेना और न्यायपालिका ने अपनी तटस्थता साबित की है. अंतिम क्षणों तक ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है जिससे पता चलता हो कि न्यायपालिका या सेना किसी तरह के कोई दबाव में रही हो. यही वजह है कि कोर्ट का फैसला आने के बाद अब पीटीआई के साथी ही पूरे प्रकरण में सरकार को मुर्ख बता रहे हैं.
दूसरी तरफ, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर जहां सवाल उठाए जा रहे हैं, इसे खूब सराहा भी जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही षनिवार को प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान किया जाएगा.
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने विपक्ष के अविष्वास प्रस्ताव को खारिज करने का संज्ञान लिया. इस मामले में न्यायमूर्ति मजहर आलम मियां और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखेल का सर्वसम्मत निर्णय माना गया. पाकिस्तानी मीडिया कहती है, वाक्पटु शब्दों में राजनीतिक और राष्ट्रीय संकट से बाहर ‘निर्णय‘ देने से दाग धुल गए है. इससे न्यायपालिका की प्रतिष्ठा न केवल पाकिस्तान में बल्कि पूरे विश्व में बढ़ी है.
पाकिस्तान के बुद्धिजीवी और मीडिया मानती है कि पीठ के इस फैसले से न सिर्फ राजनीतिक बल्कि राष्ट्रीय और आर्थिक अस्थिरता खत्म होगी.देश में पैदा हुई अनिश्चितता फिर से सामान्य होगी . उम्मीद की जा रही है कि इससे महंगाई केे खत्म में मदद मिलेगी.
चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों सहित व्यापारिक नेता विशेष रूप से चिंतित थे कि आज स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा घोषित मौद्रिक नीति ब्याज दरों में 250आधार अंकों (2.5प्रतिषत) की वृद्धि का ऐलान किया जाएगा . ब्याज दर बढ़ाकर 12.25प्रतिषत किया गया है. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार दर में इतनी वृद्धि की गई है.
इन शख्सियतों के मुताबिक एक तरफ तो इससे देश भर के आम आदमी पर महंगाई की आंधी चलेगी, उनका जीवन भी दयनीय हो जाएगा.व्यापारी समुदाय का कहना है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार में रुपये का अवमूल्यन विवादों के दौरान हुआ. अब जब कि उनकी सरकार जाने वाली है डॉलर की दर लगभग 200के उपर पहुंच गई है.
इसके साथ यह भी चर्चा होने लगी है कि इमरान सरकार की जनविरोधी नीति के समर्थन में सेना को ‘एक ही पेज पर‘ दिखाने का प्रयास किया गया, पर ऐसा नहीं है.इमरान खान ने प्रधानमंत्री रहते बैठकों, जुलूसों, विदेशी दौरों, निजी सभाओं और यहां तक कि विदेशी नेताओं के साथ बैठकों में अपने राजनीतिक विरोधियों की भूमिका का उल्लेख करने में संकोच नहीं किया, जिससे पाकिस्तान की छवि धूमिल हुई है. मगर ऐसे मौके पर सेना ने कभी इमरान का साथ नहीं दिया.
खुद प्रधानमंत्री और उनके मंत्री बार-बार यह दावा करते रहे हैं कि सरकार और सेना कई मौकों पर एक राय रखते हैं. मगर ऐसा नहीं दिखा. यहां तक कि संसद भंग करने के मामले में भी सेना अलग खड़ी नजर आई.