गीतांजलि श्री के ‘रेत का मकबरा’ कोे हिंदी उपन्यास के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
आवाज द वाॅयस /लंदन
दिल्ली की एक लेखिका गीतांजलि श्री अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बन गई हैं.डेजी रॉकवेल द्वारा रेत के मकबरे के रूप में अंग्रेजी में अनुवादित ‘टाॅम आॅफ सैंड’ नामक उनके उपन्यास ने अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता है. उन्हें इसके लिए 50,000 पाउंड मिलेंगे. पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट होने वाली यह पहली हिंदी भाषा की किताब है.
‘‘गीतांजलि श्री और रीडश्रीडेजी को बधाई, जिन्हें टाॅम आॅफ सैंड के साथ लंबे समय से सूचीबद्ध किया गया है. बुकर ने पुरस्कारों के बारे में ट्वीट किया है.
यह पुस्तक भारत के विभाजन की एक कहानी है, जो अपने पति की मृत्यु के बाद एक बुजुर्ग महिला का अनुसरण करती है.बंगाली लेखक अरुण सिन्हा ने ट्वीट किया,‘‘यस! अनुवादक डेजी रॉकवेल और लेखक गीतांजलि श्री ने ‘रेत का मकबरा‘ के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर जीता. एक हिंदी उपन्यास, एक भारतीय उपन्यास, एक दक्षिण एशियाई उपन्यास के लिए पहली जीत. बधाई! द बुकर पुरस्कार. ‘‘
बता दें, गीतांजलि श्री कई लघु कथाओं और उपन्यासों की लेखिका हैं.उनके 2000 के उपन्यास माई को 2001 में क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए चुना गया था.