धर्मनिरपेक्षता का मतलब यह नहीं है कि आप अपने धर्म, संस्कृति को नकार देंः विदेश मंत्री जयशंकर

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 05-05-2024
S. Jaishankar
S. Jaishankar

 

कटक. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब सभी धर्मों के लिए सम्मान है और इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने धर्म से इनकार करते हैं या किसी तरह अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व नहीं करते हैं.’’ उनकी टिप्पणी लोकसभा चुनावों के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए प्रचार करते समय ओडिशा के कटक में एक संवाद सत्र के दौरान आई.

यह पूछे जाने पर कि देश की विदेश नीति में धर्मनिरपेक्षता को कैसे शामिल किया जा सकता है. विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया, ‘‘अब सबसे पहले यह स्पष्ट कर लें कि धर्मनिरपेक्षता से हमारा क्या मतलब है. धर्मनिरपेक्षता का मतलब सभी धर्मों के लिए सम्मान है. धर्मनिरपेक्षता का मतलब यह नहीं है कि आप अपने धर्म को नकारें. आपका अपना धर्म है या आपको अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व नहीं है. आज के भारत में इतिहास, संस्कृति और परंपराएं हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ये जीवन के तथ्य हैं. अगर 3,000 साल पहले कुछ था, तो यह एक वास्तविकता थी. इसलिए हमें इनमें से कई चीजों के बारे में रक्षात्मक नहीं होना चाहिए. मैं सभी धर्मों का सम्मान करूंगा, लेकिन जाहिर तौर पर जैसा कि आप जानते हैं, एक व्यक्ति के रूप में मुझे गर्व होगा एक राज्य के रूप में मैं इस तरह से कार्य करूंगा, जिसमें मैं सभी का संज्ञान लूंगा, लेकिन मुझे किसी भी तरह से अपनी पहचान को कम नहीं आंकना है और मुझे लगता है कि हमें इसके लिए सम्मान भी मिलता है.’’

मंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत एक ‘विश्वबंधु’ राष्ट्र बन गया है, जो अस्थिरता, अराजकता और युद्ध वाली दुनिया में सभी के साथ सद्भाव से काम करता है. विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘एक ‘विश्वबंधु’ राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाभ होता है. एक ‘विश्वबंधु’ अस्थिरता, अराजकता और युद्ध वाली दुनिया में सभी के साथ सद्भाव से काम करता है. यह अब भारत की पहचान बन गई है. हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए, हमारे पास इतने सारे भागीदार हैं, कि हम अमेरिका, यूरोप, रूस, खाड़ी देशों या इजराइल के साथ हाथ मिला सकते हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनके आंतरिक झगड़े हो सकते हैं. जो देश अपने राष्ट्रीय हितों के लिए विभिन्न देशों से निपट सकता है और उनके साथ साझेदारी स्थापित कर सकता है, उसे विश्वबंधु कहा जाता है. एक विश्वबंधु वैश्विक स्तर पर ‘सबका साथ, सबका विकास’ करता है.’’

धर्मनिरपेक्षता पर विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान तब आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा कि भारत, चीन, जापान और रूस की प्रकृति ‘जेनोफोबिक’ है.

अमेरिकी राष्ट्रपति की टिप्पणी के बाद, विदेश मंत्री जयशंकर ने शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन की ‘जेनोफोबिया’ टिप्पणी का खंडन किया और तर्क दिया कि भारत की आर्थिक वृद्धि 7 प्रतिशत है, जो कई अन्य देशों की तुलना में अधिक है. जयशंकर ने दोहराया कि भारत सबसे खुला, बहुलवादी और विविधतापूर्ण समाज है, और ‘जेनोफोबिक’ नहीं है.

ईएएम जयशंकर ने अपनी पुस्तक ‘व्हाई भारत मैटर्स’ पर भुवनेश्वर में पेशेवरों के साथ बातचीत करते हुए कहा, ‘‘हम सबसे खुले समाज हैं, आज तक मैंने इतना खुला समाज, इतना बहुलवादी समाज, इतना विविधतापूर्ण समाज कभी नहीं देखा है, इसलिए मैं कहूंगा कि हम वास्तव में सिर्फ जेनोफोबिक नहीं हैं, हम सबसे खुले, सबसे बहुलवादी हैं और कई मायनों में, दुनिया में सबसे समझदार समाज.’’

 

ये भी पढ़ें :   आज से शारजाह चैंबर का आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए छह दिवसीय भारत दौरा
ये भी पढ़ें :   क्या ‘हीरा सिंह दी मंडी’ ही ‘हीरा मंडी है ?
ये भी पढ़ें :   हीरा मंडी सीरीज पर क्या कह रहे हैं पाकिस्तान के लोग ?