मध्य प्रदेश: भोपाल में अफगान छात्रों के सामने मुसीबतों का पहाड़

Story by  सुरह नियाज़ी | Published by  [email protected] | Date 22-10-2021
 भोपाल में अफगान छात्र
भोपाल में अफगान छात्र

 

सुरह नयाजी /भोपाल
 
अफगानिस्तान में सत्ता हस्तांतरण से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ने वाले अफगान छात्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. भोपाल के जिन कॉलेजों में छात्रों ने स्नातक किया है, वे अब बदली हुई परिस्थितियों में पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए तैयार नहीं हैं.
 
प्रवेश के लिए केवल दस दिन शेष है. छात्रों की छात्रवृत्ति अभी तक तय नहीं हुई है. यदि सरकार इन दस दिनों में उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेती है, तो अफगान छात्रों को उच्च शिक्षा में प्रवेश से वंचित कर दिया जाएगा.
 
अफगानिस्तान में सत्ता हस्तांतरण का असर राजधानी भोपाल में पढ़ रहे अफगान छात्रों पर प्रमुखता से महसूस किया जा रहा है. बदले हुए हालात में राजधानी भोपाल में पढ़ने वाले अफगान छात्रों का भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा है.
 
भोपाल से स्नातक होने के बाद, अब छात्रों के लिए आगे की छात्रवृत्ति में बाधाएं हैं. मध्य प्रदेश के कॉलेजों में प्रवेश के लिए दस दिन शेष हैं. इन छात्रों ने मध्य प्रदेश सरकार के सभी दरवाजे खटखटाए हैं, लेकिन कहीं भी उन्हें प्रवेश और छात्रवृत्ति का रास्ता नहीं दिख रहा है.
 
अफगान छात्र सोरौश गुलिस्तानी का कहना है कि राजधानी भोपाल में एक दर्जन से अधिक छात्र आरजीपीवी, मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और अन्य कॉलेजों में पढ़ रहे हैं. छात्रवृत्तियां पूरी हो चुकी हैं.
 
अनुकूल परिस्थितियों में हम सभी छात्रों ने भोपाल में स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली है और अब जब हम सभी छात्र उच्च शिक्षा में प्रवेश लेना चाहते हैं, तो बदली हुई परिस्थितियों में हमारी छात्रवृत्ति अवरुद्ध हो गई है. भारत सरकार से प्राप्त छात्रवृत्ति के स्पष्ट आदेश भी शिक्षण संस्थानों तक नहीं पहुंचे हैं और शिक्षण संस्थान प्रवेश पर रोक लगा रहे हैं.
 
एक अफगान छात्र फैसल सिद्दीकी ने कहा कि 30 अक्टूबर के बाद प्रवेश बंद हो जाएंगे. पीजी कोर्स में दाखिले के लिए हमारे पास दस दिन से भी कम का समय बचा है. जब हम प्रवेश के लिए कॉलेजों में जाते हैं, तो वे हमसे छात्रवृत्ति की स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहते हैं.
 
हम सभी छात्रों ने अनगिनत दरवाजे खटखटाए हैं, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री भी शिक्षा मंत्री से बात करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उपचुनाव में उनके शामिल होने के कारण उनसे मिलने का कोई रास्ता नहीं है.
 
जो छात्र भारत सरकार और अफगानिस्तान सरकार की मदद से भोपाल में पढ़ना चाहते हैं, उन्हें प्रवेश नहीं मिलता है, तो उनके लिए यहां रहना मुश्किल होगा और इस कठिन समय में अगर वे अफगानिस्तान जाते हैं, तो उनकी राह आसान नहीं है.
 
वे इस बात को लेकर झिझक रहे हैं कि बदली हुई परिस्थितियों में तालिबान सरकार उन्हें मान्यता देगी या नहीं. इतना ही नहीं बदले हालात में आर्थिक दिक्कतों के चलते उन्हें किराया देने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
 
एक अफगान छात्र मोहम्मद शफीक का कहना है कि भारत सरकार बदली हुई परिस्थितियों में हमारी आशाओं का केंद्र है. भारत सरकार ने पहले ही अफगानिस्तान के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हमें उम्मीद है कि यह हमारे अफगान छात्रों की समस्याओं का समाधान करने का एक तरीका खोजेगी.