मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है अस्थमा : विशेषज्ञ

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 07-05-2024
Asthma can have negative effects on the brain: Expert
Asthma can have negative effects on the brain: Expert

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 
 
विश्व अस्थमा दिवस पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि अस्थमा एक दुर्बल श्वसन स्थिति है जिससे दुनिया भर में हर साल 2,50,000 लोगों की जान चली जाती है. यह बीमारी मस्तिष्क के कार्यों को काफी हद तक बाधित कर सकती है. इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 7 मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है.
 
अस्थमा से पीड़ित लोगों के फेफड़ों की दीवारें मोटी हो जाती हैं और बलगम से भर जाती हैं. पराग, धूल के कण या वायरल संक्रमण अस्थमा के दौरान सांस लेने के मार्ग को और भी संकीर्ण कर देता है. अस्थमा मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, हालांकि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को भी बाधित कर सकता है.
 
फोर्टिस अस्पताल, गुरुग्राम में न्यूरोलॉजी के चीफ और प्रिंसिपल डायरेक्टर प्रवीण गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, ''अस्थमा के दौरे के चलते ऑक्सीजन की कमी से मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है. बार-बार अस्थमा के दौरे पड़ने और स्थिति के खराब प्रबंधन से नींद में खलल पड़ सकती है और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली खराब हो सकती है.''
 
शोध से पता चला है कि अस्थमा से पीड़ित वयस्क और बच्चे दोनों ही याददाश्त की कमी का अनुभव करते हैं. ऐसा माना जाता है कि अस्थमा के रोगियों में ऐसी याददाश्त मस्तिष्क की संरचना में परिवर्तन के कारण होती है. अस्थमा के रोगियों को हिप्पोकैम्पस की मात्रा में कमी का अनुभव होता है, जो याददाश्त की कमी से जुड़ा हुआ है.
 
नारायणा हॉस्पिटल-आरएन टैगोर हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी कंसल्टेंट अरात्रिका दास ने आईएएनएस को बताया, ''अस्थमा विशेष रूप से बच्चों में न्यूरोलॉजिकल फंक्शन पर प्रभाव डाल सकता है. हाइपोक्सिया सूजन और बीमारी का पुराना तनाव जैसे कारक संभावित रूप से तंत्रिका-संज्ञानात्मक कार्य को प्रभावित कर सकते हैं. बच्चों में अस्थमा और विभिन्न न्यूरोलॉजिकल परिणामों के बीच एक संबंध है, जिसमें याददाश्त की कमी, व्यवहार संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाना, नींद के पैटर्न में व्यवधान और संभावित दवा के दुष्प्रभाव शामिल हैं.''
 
इसके अलावा अस्थमा से पीड़ित लोगों में रासायनिक एनएए का स्तर भी कम होता है, जिससे उनकी याददाश्त कम हो जाती है. इसके अलावा अस्थमा के अटैक के दौरान ऑक्सीजन की कमी हिप्पोकैम्पस को नुकसान पहुंचा सकती है जिससे उनके लिए कार्यों को सीखना कठिन हो जाता है.
 
पीएसआरआई हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट क्रिटिकल केयर स्लीप मेडिसिन नीतू जैन ने आईएएनएस को बताया, ''अस्थमा में ब्रेन पर ओवरलोड की स्थिति पैदा हो जाती है. यह खासकर गंभीर अस्थमा से पीड़ित युवा और वृद्ध दोनों ही कमजोर समूहों के रोगियों में देखी जाती है. इससे सेरेब्रल हाइपोक्सिया (मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलना) भी हो सकता है. अस्थमा से जुड़ी याददाश्त की कमी वैश्विक है, जिसका शैक्षणिक और कार्यकारी कामकाज पर प्रभाव पड़ता हैै.''
 
''अस्थमा के मरीज तनाव और भावना से प्रभावित होते हैं. भावनात्मक परेशानी पैदा करने वाला कोई भी कारक अस्थमा के अटैक का कारण बन सकता है.''
विशेषज्ञों ने अस्थमा और न्यूरोलॉजिकल फंक्शन के बीच जटिल अंतर संबंध को समझने की कोशिश की है. उन्होंने उपचार रणनीतियों को अनुकूलित करने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए अस्थमा की देखभाल और तंत्रिका संबंधी दोनों पहलुओं पर ध्यान देने को कहा है.