रफ़ी की गायकी में वो जादू था जो प्यार, दर्द, उल्लास, देशभक्ति और भक्ति—हर भाव को आत्मा की गहराई से छूता था. उनके कुछ अमर गीतों को आज भी लोग उसी ताज़गी से सुनते हैं:
"तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है" (चित्रलेखा)
"चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे" (दर्द)
"क्या हुआ तेरा वादा" (हम किसी से कम नहीं)
"मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया" (हम दोनों)
"दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर" (ब्राह्मचारी)
"खोया खोया चाँद" (काला बाज़ार)
"सुहानी रात ढल चुकी" (दुलारी)
"बदन पे सितारे लपेटे हुए" (प्रिंस)