इस बार सीजन की कहानी फुलेरा गांव में प्रधान पद के चुनावों के इर्द-गिर्द घूमती है.
अभिषेक त्रिपाठी को ट्रांसफर का खतरा बना रहता है, लेकिन वह गांव के लोगों से जुड़ चुका है और यहीं रहना चाहता है.
पिछले सीजन में बेटे को खो चुके प्रह्लाद की भावनाएं इस बार गहराई से दिखाई गई हैं, जिससे कहानी को भावनात्मक गहराई मिलती है.
भूषण अब प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ता है और गांव में माहौल बिगाड़ने की कोशिश करता है.
अंत में मंजू देवी प्रधान पद का चुनाव हार जाती हैं और भूषण जीत जाता है, जिससे गांव की सत्ता बदलती है.
आखिरी एपिसोड में एक नया मोड़ आता है, जो अगले सीजन के लिए उत्सुकता बढ़ा देता है.
यह सीजन राजनीति, रिश्तों और गांव की बदलती सच्चाइयों के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें सामाजिक ताने-बाने और ईमानदार प्रशासन की लड़ाई को दिखाया गया है.