हज के दौरान कंकड़ फेंकना दरअसल उस घटना की याद है, जब अल्लाह के पैगंबर हज़रत इब्राहीम (अ.स.) अपने बेटे इस्माईल (अ.स.) को अल्लाह की राह में क़ुर्बान करने के लिए जा रहे थे.

इस घटना की याद में हर साल हज करने वाले लाखों मुसलमान तीन विशेष खंभों (जमारात) पर सात-सात कंकड़ फेंकते हैं, जो शैतान के प्रतीक माने जाते हैं.

हाजियों को पहले से सात छोटे पत्थर एकत्र करने होते हैं. यह पत्थर आमतौर पर मिना या मुज़दलफ़ा क्षेत्र से लिए जाते हैं.

हज के पांचवे दिन (10वीं जिलहिज्जा) से शुरू होकर, तीन दिनों तक (11वीं और 12वीं जिलहिज्जा) यह प्रक्रिया चलती है.

पहले दिन सिर्फ़ बड़े जमरा पर कंकड़ फेंके जाते हैं और बाकी दो दिन तीनों जमारात पर सात-सात कंकड़ फेंके जाते हैं.

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