हमारे खेतों में ख़ुशबू है हरियाली है सावन है हम अपने गाँव को कश्मीर की वादी समझते हैं - कलीम क़ैसर बलरामपुरी

संतूर फेरन क़हवा चिनार और शिकारा उन लफ़्ज़ों से उभरा है सदा ज़ेहन में कश्मीर - क़मरुद्दीन

कभी है गुल कभी शमशीर सा है वो गोया वादी-ए-कश्मीर सा है - क़मर सिद्दीक़ी

हम को बिछड़े कितने गुज़रे साल बता दूँ ऐ कश्मीर तेरे सोला मेरे सोला होते हैं बत्तीस बरस - आयाज़ रसूल नाज़की

ज़िंदगी दश्त की सूरत ही सही सब्र तो कर एक दिन वादी-ए-कश्मीर भी हो सकती है - अनवर हुसैन अनवर

आज इक जान-ए-हया फूल से रुख़्सारों पर रंग कश्मीर के सेबों का चुरा लाई है - नफीस तक़ी

अजब कशिश है तिरे शहर में मुझे जानाँ कोई भी रुत हो वो कश्मीर जैसा लगता है - अनवर हुसैन अनवर

ख़ूबसूरत थी ये कश्मीर की वादी जैसी ज़िंदगी तेरे बिना लगती है चंबल की तरह - आग़ाज़ बुलढाणवी

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