शुभारंभ पूजा (प्रथम दिन): आषाढ़ पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) पर छड़ी मुबारक (पवित्र छड़ी) के साथ यात्रा का विधिवत शुभारंभ होता है.

श्रद्धालुओं का आगमन: देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जम्मू-कश्मीर पहुँचते हैं और पहलगाम व बालटाल बेस कैंप से यात्रा शुरू करते हैं.

श्रद्धालुओं का आगमन: देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जम्मू-कश्मीर पहुँचते हैं और पहलगाम व बालटाल बेस कैंप से यात्रा शुरू करते हैं.

भारी सुरक्षा प्रबंध: CRPF, BSF, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना मिलकर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था करते हैं.

शिवलिंग का दर्शन: पवित्र गुफा में हिम से बना स्वाभाविक शिवलिंग श्रद्धालुओं के लिए केंद्र होता है, जिसका आकार हर दिन बदलता रहता है.

छड़ी मुबारक की यात्रा: छड़ी मुबारक श्रीनगर से पहलगाम और फिर पवित्र गुफा तक जाती है। इसका धार्मिक महत्व बहुत गहरा है.

भंडारा / लंगर सेवा: दर्जनों गैर-सरकारी संगठनों द्वारा यात्रियों के लिए निःशुल्क भोजन, दवा और ठहरने की व्यवस्था होती है.

मौसम की चुनौती: बर्फबारी, बारिश और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएँ यात्रा को प्रभावित करती हैं.

विशेष पूजा-अर्चना: पवित्र गुफा में पुजारियों द्वारा रुद्राभिषेक, आरती और विशेष पूजा की जाती है.

समापन (श्रावण पूर्णिमा): रक्षा बंधन के दिन छड़ी मुबारक के साथ अंतिम पूजा के बाद यात्रा का समापन होता है.

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