ताजुद्दीन बाबा नागपुर, जिन्हें बाबा ताजुद्दीन औलिया के नाम से भी जाना जाता है, एक श्रद्धेय सूफी संत थे जिनका जन्म 1861 में कामठी नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था।

वह अपनी आध्यात्मिक शिक्षाओं, उपचार क्षमताओं और ईश्वर के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते थे।

छोटी उम्र से ही उनमें आध्यात्मिक रुझान के लक्षण दिखने लगे और वे सूफ़ी संतों की संगति की ओर आकर्षित हो गए

उनकी शिक्षाएँ किसी विशेष धर्म या संप्रदाय तक सीमित नहीं थीं, और उन्होंने प्रेम, सहिष्णुता और करुणा का संदेश दिया।

हज़रत बाबा ताजुद्दीन की दरगाह को लाखों लोग एक पवित्र स्थल मानते हैं और यह नागपुर के लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है।

हज़रत बाबा ताजुद्दीन दरगाह एक पवित्र स्थल है जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।

हज़रत बाबा ताजुद्दीन का 1925 में निधन हो गया, और उनकी कब्र को जल्द ही उनके अनुयायियों ने एक मंदिर में बदल दिया।

उर्स हजरत बाबा ताजुद्दीन की बरसी की याद में आयोजित किया जाता है। यह चार दिवसीय आयोजन है जो देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। उर्स में कव्वाली, कुरान का पाठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।

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